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कोरोना संक्रमण से स्वस्थ होने के लिए सही वक्त पर सही इलाज का लक्ष्य-कटेसरिया

कलेक्टर ने दी कोरोना संक्रमण और इलाज की तकनीकी जानकारी

सतना,भास्कर हिंदी न्यूज/ कलेक्टर अजय कटेसरिया ने गुरुवार को जिले भर के थोक और फुटकर दवा विक्रेता, एजेंसी, फार्मासिस्ट एवं चिकित्सकों की बैठक लेकर कोरोना संक्रमण से बचाव, नियंत्रण, संक्रमण के दौरान शारीरिक प्रभाव, इलाज और सही इलाज, दवाओं के असरकारक प्रभाव के बारे में पावर प्रेजेंटेशन के माध्यम से लगभग 2 घंटे विस्तार से तकनीकी जानकारी दी। इस मौके पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ अशोक अवधिया और जिला एपिडेमिकोलॉजिस्ट भी उपस्थित रहे।

कलेक्टर श्री कटेसरिया ने कोरोना संक्रमण की स्थितियों की विगत वर्ष के अनुभव और वर्तमान स्ट्रेन के कोरोना संक्रमण की जानकारी साझा करते हुए कहा कि पिछले वर्ष के कोरोना में भय था, इलाज और बचाव के बारे में स्थितियां स्पष्ट नहीं थी। सितंबर माह के बाद जिले में अमेरिका के इलाज का पैटर्न प्रोटोकॉल अपनाने पर कोरोना से होने वाली मौतें रुकी और 5 नवंबर के बाद जिले में कोई भी मौत कोरोना से नहीं हुई। कलेक्टर ने कहा कि कोरोना संक्रमण से बचाव, प्रॉपर इलाज सही समय पर मिले तो किसी भी व्यक्ति की मृत्यु कोरोना से नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि कोरोना में कोई विशेष दवा या इलाज नहीं है। उपचार के लिए दवाएं और विटामिन सप्लीमेंट्री बतौर दी जाती हैं। पूरी दुनिया में कोरोना के इलाज के बारे में दवाओं की उपयोगिता पर काफी रिसर्च हो चुका है और कोरोना के इलाज की स्थितियां भी साफ हो चुकी हैं।

कलेक्टर ने कहा कि कोरोना में 98 प्रतिशत संक्रमित मरीज सही जानकारी रखें और कोरोना से बचाव के उपचार तथा सावधानियां रखें तो उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। जो भी व्यक्ति कोरोना के संक्रमण से ग्रसित हो, वह अर्ली ट्रीटमेंट से शीघ्र स्वस्थ हो सकता है।

कलेक्टर श्री कटेसरिया ने कोविड बीमारी का स्वरूप और फैलने की स्थिति, कोरोना संक्रमण में शारीरिक बीमारी की स्थितियां, बीमारी के स्टेज, वायरस संक्रमण का टेस्ट, प्रारंभिक स्टेज के लक्षण और उपचार की दवाएं, इम्यूनिटी बूस्टर सप्लीमेंट, हल्के लक्षणों वाले या एसिप्टोमेटिक मरीजों का उपचार, दवायें, स्पष्ट लक्षणों वाले मरीजों का उपचार, दवाओं की मात्रावार जानकारी पावर प्रजेंटेशन के माध्यम से दी। कलेक्टर ने कहा कि कोरोना संक्रमित मरीज की तीन अवस्थाएं होती हैं। प्रि-एक्सपोजर, पोस्ट एक्सपोजर या इनकन्वेंशन, दूसरी अवस्था सिंप्टोमेटिक फेस और तीसरी पलमोनरी इन्फ्लेमेंटरी। मरीज को सातवें दिन के बाद सी-रिएक्टिव प्रोटीन टेस्ट और डि-डाइमर टेस्ट भी कराना चाहिए। कलेक्टर ने कार्टिको स्टेरॉयड और आईवर मेक्टिन दवाओ के शरीर पर प्रभाव और संक्रमण पर असर के बारे में जानकारी दी।

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