Harshvardhan selected in KEBA prepartory school:digi desk/BHN/ मध्य प्रदेश के ग्वालियर और गुना शहरों का नाम सुनते ही जो पहली तस्वीर आंखों में उभरती है वह चंबल के बीहड़ और बागियों की होती है, मगर अब यहीं का एक युवा हर्षवर्धन सिंह तोमर यह तस्वीर बदलने जा रहा है। हर्षवर्धन का चयन एनबीए एकेडमी द्वारा अमेरिका के केबा (केईबीए) प्रेपरेट्री स्कूल में हुआ है। यह उपलब्धि हासिल करने वाले वे मप्र से पहले जबकि भारतीय एनबीए एकेडमी से यह उपलब्धि पाने वाले पांचवें पुरुष बास्केटबॉल खिलाड़ी हैं। देश में अब तक ऐसे सिर्फ सोलह खिलाड़ियों का चयन हुआ है।
भारत के तमाम बच्चों की तरह ही हर्षवर्धन भी क्रिकेटर बनना चाहते थे। मजबूत कद-काठी को देखते हुए कोच ने बास्केटबॉल खेलने की सलाह दी, और फिर जो सफर शुरू हुआ वह अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंच गया है। हर्षवर्धन बताते हैं, ‘बचपन से ही मेरी ऊंचाई अच्छी है और वजन भी ज्यादा था। मेरी मम्मी तृप्ति तोमर भी बास्केटबॉल खिलाड़ी रही हैं और उन्होंने मुझे इस खेल के लिए प्रोत्साहित किया। मैं बास्केटबॉल के बारे में ज्यादा नहीं जानता था। मेरे प्रारंभिक कोच रूपसिंह परिहार ने मेरी बहुत मदद की। इसके बाद एनबीए एकेडमी ने भी मेरी प्रतिभा को तराशने और बेहतर खिलाड़ी बनाने में बहुत मदद की। यही वजह है कि मैं आज अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंच सका।
हर्षवर्धन ने बताया कि कई युवा मुझसे सलाह लेते हैं, तो अच्छा लगता है कि अब बास्केटबॉल के प्रति रुझान बढ़ रहा है। लोग पूछते हैं कि कद कैसे बढ़ाएं तो मैं कहता हूं कि कद से ज्यादा तकनीक और गति महत्वपूर्ण है। आप जितनी ज्यादा मेहनत करेंगे उतनी सफलता मिलेगी। उन्होंने कहा कि मेरा सपना है देश का नाम रोशन करूं। यदि मैं अपने अच्छे खेल से ऐसा कर सका तो इससे बेहतर कुछ नहीं होगा। मैं इसके लिए कड़ी मेहनत करता हूँ। कोरोनाकाल में लगे लॉकडाउन के दौरान मैं फिटनेस पर तो ध्यान दे रहा था लेकिन अभ्यास ठीक से नहीं हो सका। हर्षवर्धन ने बताया कि नए देश में रहने में मुझे कोई दिक्कत नहीं होगी। इससे पहले मैं इटली में रह चुका हूं और तब वहां भाषा की समस्या आती थी। अमेरिका में यह दिक्कत नहीं है। यूरोप में मेरे कई खिलाड़ी दोस्त हैं जिनकी मदद रहेगी। अभी हर्षवर्धन की उम्र 20 साल है। वे 14 साल की उम्र से मप्र टीम का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। भारत की जूनियर टीमों में भी शामिल रहे हैं।
कोच का मार्गदर्शन
हर्षवर्धन ने बताया कि मेरे कोच रूपसिंह और राजेश्वर राव से मैं चर्चा करता रहता हूँ। इन्होंने सिखाया है कि हमेशा मेहनत करो। एक बार में एक ही चीज पर मेहनत करें। बहुत सी चीजों पर ध्यान देने से एकाग्रता भंग होती है। अभ्यास करते रहें, क्योंकि इसका फल जरूर मिलता है।
मां का सपना पूरा किया
हर्षवर्धन की मां तृप्ति और पिता वीपी सिंह ने हमेशा उन्हें खेल में आगे बढ़ने में प्रोत्साहित किया। मां तृप्ति बताती हैं कि मैं भी बास्केटबॉल की राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी रही हूं। मगर पन्ना जैसी छोटी जगह पर सुविधाएं नहीं थी। अब बेटा मेरा सपना पूरा कर रहा है।