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सुप्रीम कोर्ट ने मप्र हाई कोर्ट के आदेश को किया निरस्त, यौन उत्पीड़न पीड़िता से राखी बंधवाने की शर्त पर दी थी जमानत

Supreem court news:digi desk/BHN/इंदौर  सुप्रीम कोर्ट ने मप्र हाई कोर्ट के उस आदेश को निरस्त कर दिया जिसमें कोर्ट ने यौन उत्पीड़न पीड़िता से राखी बंधवाने की शर्त पर आरोपित को जमानत दी थी। हाई कोर्ट के इस आदेश पर देशभर में काफी हंगामा मचा था। सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्ना अदालतों के जजों से महिलाओं के खिलाफ यौन अपराधों में रूढ़ीवादी टिप्पणियों से बचने को कहा है। कोर्ट ने जजों, वकीलों व सरकारी वकीलों के संवेदीकरण के लिए प्रशिक्षण माड्यूल सहित कई दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

गौरतलब है कि मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने 30 जुलाई 2020 को यौन उत्पीड़न के एक मामले में आरोपित को इस शर्त पर जमानत दी थी कि वह पत्नी के साथ पीड़िता के घर जाएगा और पीड़िता से राखी बांधने का अनुरोध करेगा। साथ ही उसे जीवनभर सुरक्षा देने का वचन भी देगा। हाई कोर्ट के इस आदेश को नौ महिला वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इन महिला वकीलों ने मांग की थी कि अदालतों को आदेश दिया जाए कि वे यौन उत्पीड़न के मामले में इस तरह के आदेश न दें। सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ में हुई। कोर्ट ने मप्र हाई कोर्ट के 30 जुलाई के आदेश को निरस्त कर दिया है।

अटार्नी जनरल ने की थी आलोचना

हाई कोर्ट के आदेश की आलोचना करते हुए अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने इस आदेश की निंदा करते हुए कहा था कि जजों को महिलाओं के प्रति संवेदनशीलता का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि जमानत की शर्तों के बारे में सुप्रीम कोर्ट का आदेश सभी वेबसाइट्स पर अपलोड किया जाना चाहिए ताकि पता रहे कि क्या किया जा सकता है और क्या नहीं। अटार्नी जनरल ने यह भी कहा था कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला न्यायिक अकादमी में पढ़ाया जाना चाहिए और उसे ट्रायल कोर्ट व हाई कोर्ट के समक्ष भी रखा जाना चाहिए ताकि जजों को पता रहे कि उन्हें क्या करना चाहिए।

यह है मामला

उज्जैन जिले की खाचरोद तहसील के ग्राम सांदला के निवासी आरोपित विक्रम पिता भेरूलाल बागरी पर आरोप है कि 20 अप्रैल 2020 की रात करीब ढाई बजे वह एक महिला के घर में घुसा और उसके साथ छेड़छाड़ की। पुलिस ने आरोपित के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर दो जून 2020 को उसे हिरासत में लिया। आरोपित ने इस मामले में मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ के समक्ष जमानत याचिका प्रस्तुत की थी। 30 जुलाई 2020 को हाई कोर्ट की एकलपीठ ने आरोपित को इस शर्त पर 50 हजार रुपये की जमानत दी थी कि आरोपित तीन अगस्त 2020 को रक्षाबंधन के दिन सुबह 11 बजे पत्नी को साथ लेकर पीड़िता के घर राखी और मिठाई लेकर जाएगा और पीड़िता से आग्रह कर भाई की तरह उससे राखी बंधवाएगा। इतना ही नहीं, आरोपित पीड़िता को उसकी रक्षा का वचन देकर परंपरा अनुसार राखी की भेंट स्वरूप उसे 11 हजार रुपये भी देगा। आरोपित पीड़िता के बेटे को भी मिठाई और कपड़े के लिए पांच हजार रुपये देगा।

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