- अक्टूबर से शुरू होगी जबलपुर की डीएनए लैब
- प्रतिमाह 200 सैंपलों की हो सकेगी सटीक जांच
- नई लैब्स से जांच क्षमता में सुधार की उम्मीद है
रीवा/भोपाल। प्रदेश भर में विसरा के लगभग 22 हजार सैंपल जांच के लिए यहां-वहां रखे हुए हैं। अब इन सैंपलों की जांच में गति लाने के लिए सितंबर से रीवा और रतलाम में बनाई जा रही फोरेंसिक साइंस लैब प्रारंभ करने की तैयारी है। फारेंसिक की बाकी जांचें इन लैब में एक अक्टूबर से शुरू की जाएंगी।
इसके अतिरिक्त डीएनए सैंपलों की जांच के लिए जबलपुर में नई लैब भी अक्टूबर में प्रारंभ हो जाएगी। इसे मिलाकर प्रदेश में 5 डीएनए लैब हो जाएंगी। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में 2 वर्ष पहले तक डीएनए के लगभग आठ हजार सैंपल जांच के लिए रखे हुए थे। लैबों की क्षमता बढ़ने के बाद अब यह आंकड़ा 4000 पर आ गया है।
लैब के लिए चल रही है भर्तियां
राज्य फोरेंसिक साइंस लैब के अधिकारियों ने बताया कि तीनों लैब में उपकरण स्थापित हो चुके हैं। जांच में उपयोग होने वाले रसायनों की खरीदी के लिए दरें अनुबंधित करने का काम चल रहा है। रीवा और रतलाम के लिए वैज्ञानिक अधिकारी, केमिस्ट और प्रयोगशाला सहायकों की भर्ती चल रही है। इसके साथ ही प्रदेश की अन्य लैब से भी यहां अधिकारी-कर्मचारी स्थानांतरित किए जा रहे हैं।
बता दें कि लगभग 3 वर्ष पहले प्रदेश में फोरेंसिक के 40 हजार और डीएनए के 10 हजार से अधिक सैंपलों की जांच अटकी हुई थी। इसके बाद नई लैब बनाने के साथ ही पहले से संचालित हो रही प्रयोगशालाओं की क्षमता बढ़ाने का काम शुरू किया गया था। फॉरेंसिक और डीएनए सैंपलों की जांच में देरी से न्याय में देरी होती है, क्योंकि इनकी रिपोर्ट न्यायालय में प्रस्तुत करने के बाद ही मामले में निर्णय हो पाता है।
प्रतिमाह इतने सैंपलों की हो सकेगी जांच
- डीएनए लैब में हर माह 200 और प्रत्येक फोरेंसिक लैब में प्रतिमाह 150 से 200 सैंपलों की जांच की जा सकेगी।
- अभी सागर, भोपाल, ग्वालियर और इंदौर में फोरेंसिक लैब हैं।
- यहां बायोलॉजिकल, केमिकल और टॉक्सिकोलॉजिकल (जहरीली चीजों का पता लगाने के लिए) सैंपलों की जांच की जा रही है।
- सर्वाधिक सैंपल टॉक्सिकोलॉजी के होते हैं। सागर में सबसे ज्यादा प्रतिमाह 800 से 1000 सैंपलों की जांच हो रही है।