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MP: 25 हजार विद्युत प्रहरी तैनात करने की योजना फाइलों में बंद, बिजली चोरी रोकने के लिए होनी थी भर्ती

  1. विद्युत प्रहरी भर्ती की योजना नही हुई लागू
  2. कंपनियों को करोड़ों रुपये का राजस्व नुकसान
  3. 40 हजार से ज्यादा डीपी से हो रही बिजली चोरी

भोपाल।  मध्य प्रदेश में बिजली चोरी रोकने के लिए 25 हजार विद्युत प्रहरी तैनात किए जाने की योजना बनाई गई थी। कुछ वर्ष पहले बनी इस योजना की चर्चा तो बहुत हुई लेकिन यह फाइलों से नहीं निकल सकी। यही कारण है कि जिलों में बिजली चोरी बढ़ती जा रही है।

इस योजना के तहत मध्य, पूर्व और पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनियों को विद्युत प्रहरी तैनात करने थे। इनको वेतन के अलावा बिजली चोरी पकड़ने पर इंसेंटिव भी दिया जाना था। एमपी पावर मैनेजमेंट कंपनी ने तीनों बिजली कंपनियों को अपने-अपने स्तर पर यह भर्ती करने के लिए सर्कुलर भी जारी किए थे, लेकिन किसी भी कंपनी ने अब तक विद्युत प्रहरियों की भर्ती नहीं की है।

यह थी विद्युत प्रहरी भर्ती करने की योजना

बिजली चोरी रोकने के लिए इन कंपनियों में विद्युत प्रहरियों को भर्ती करने की योजना तीन वर्ष पहले बनाई थी। जिस तरह कोटवार की नियुक्ति गांव की सीमा के हिसाब से होती है, ठीक उसी प्रकार विद्युत प्रहरी की नियुक्ति डीपी या ग्रिड के हिसाब से की जानी थी। विद्युत प्रहरियों को अपनी डीपी या ग्रिड से आपूर्ति होने वाली बिजली की लाइन पर नजर रखनी थी।

करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान

जहां कहीं भी उन्हें चोरी की आशंका होती, वहां की सूचना अधिकारियों को देनी थी। फिर अधिकारी इसी सूचना का उपयोग कर छानबीन कर बिजली की चोरी पकड़कर कार्रवाई करते। हालांकि यह भर्ती अब तक नहीं हुई है। प्रहरियों की भर्ती नहीं होने से तीनों कंपनियों को हर वर्ष बिजली चोरी के कारण करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है।

कहीं 40 तो कहीं 18 हजार डीपी से बिजली चोरी

मध्य, पूर्व और पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनियों में करीब 40 हजार से ज्यादा ऐसी डीपी (डिस्ट्रीब्यूशन प्वाइंट) और ग्रिड हैं, जहां चोरी हो रही है। इनमें से 18 हजार डीपी भोपाल की मध्य क्षेत्र कंपनी की, छह हजार इंदौर की पश्चिम क्षेत्र बिजली कंपनी की और जबलपुर की पूर्व क्षेत्र बिजली कंपनी की करीब 16 हजार डीपी से बिजली चोरी हो रही है। इनमें 30 से 55 प्रतिशत तक बिजली का नुकसान हो रहा है।

बिजली चोरी से बड़ा नुकसान

तीनों कंपनियों का अनुमान है कि इस नुकसान का सबसे बड़ा कारण बिजली चोरी है। कंपनियों ने चोरी रोकने के लिए कई क्षेत्रों में खुले तार हटाकर केबल डाली, फिर घरों में लगे मीटर बाहर लगाना शुरू कर दिए। इसके बाद उपभोक्ताओं की औसतन खपत निर्धारित करने के लिए कंज्यूमर इंडेक्सिंग की गई है।

सूचना देने वसूली राशि का 10 प्रतिशत

चोरी की सूचना पर पुरस्कार की योजनामध्य क्षेत्र की कंपनी ने बिजली चोरी रोकने के लिए पिछले वर्ष से एक योजना शुरू की है, जो भी व्यक्ति बिजली चोरी की शिकायत करेगा, उसे पुरस्कार दिया जाएगा। बिजली चुराने वाले आरोपित से जो राशि वसूल होगी, उसका 10 प्रतिशत सूचना देने वाले को बतौर पुरस्कार दिया जाएगा। कंपनी ने इसके लिए विजिलेंस टीम का गठन किया है।

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