- श्रावण की पूर्णिमा पर सुबह 5.33 से शुरू होगा भद्रा काल
- इस बार सर्वार्थ सिद्धि, रवि और शोभन योग के महासंयोग
- ज्योतिषियों के अनुसार राखी पर 8 घंटे रहेगा भद्रा का साया
इंदौर। श्रावण मास की पूर्णिमा पर सोमवार को भाई-बहन का पावन पर्व रक्षाबंधन मनाया जाएगा। इस बार रक्षाबंधन पर भद्रा का साया रहेगा। ज्योतिष विद्वानों के मतानुसार भद्रा का वास पाताल लोक में हैं। इसलिए इसका अधिक प्रभाव नहीं रहेगा। इसके बाद भी भद्रा की समाप्ति के बाद बहनों को भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांधने की सलाह दी गई है।
श्रावण नक्षत्र एक साथ पड़ने का महासंयोग
इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, शोभन योग के साथ ही श्रावण नक्षत्र एक साथ पड़ने का महासंयोग भी बन रहा है। साथ ही श्रावणी पूर्णिमा को गायत्री जयंती, संस्कृत दिवस व नारली पूर्णिमा का पर्व भी मनाया जायेगा। पूर्णिमा को सावन का आखिरी सोमवार होने के कारण इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। सोमवार को सावन के महीने में देवाधिदेव महादेव को बेलपत्र अर्पित करने वाले भंडारों के साथ इसका समापन करेंगे।
भद्रा के प्रारंभ का समय सुबह पांच बजकर 33 मिनट से
ग्वालियर के ज्योतिषाचार्य सुनील चौपड़ा के अनुसार रक्षाबंधन पर भद्रा के प्रारंभ का समय सुबह पांच बजकर 33 मिनट से है, जो दोपहर 1 बजकर 32 मिनट तक रहेगा। इस भद्रा का वास पाताल लोक में है। रक्षाबंधन में राखी बांधने से पहले भद्रा काल पर जरूर विचार किया जाता है।
रक्षा सूत्र बंधने के लिए शुभ मुहूर्त साढ़े सात घंटे
- पूर्णिमा तिथि का प्रारम्भ 19 अगस्त को सुबह तीन बजकर चार मिनिट बजे से आरंभ होगा और अगले दिन 20 अगस्त को रात 11 बजकर 55 मिनिट पर समाप्त होगा।
- उदया तिथि के अनुसार रक्षा बंधन 19 अगस्त को ही मनाया जाएगा। रक्षाबंधन पर राखी बांधने के लिए सबसे अच्छा समय दोपहर डेढ़ बजे से रात के नौ बजकर आठ मिनिट तक है।
- कुल मिलाकार सात घंटे घण्टे का मुहूर्त मिल रहा है। अगर शाम को राखी बांधनी है तो रक्षा बंधन के लिए प्रदोष काल का मुहूर्त शाम छह बजकर 55 मिनिट से नौ बजकर आठ मिनिट तक है।
भद्राकाल में सूर्पणखा ने बांधी थी रावण काे राखी
भगवताचार्य पंडित घनश्याम शास्त्री महाराज बताया कि भद्रा काल राखी नहीं बांधना चाहिए। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्पणखा ने रावण को भद्रा काल में ही राखी बांधी थी और रावण का पूरा साम्राज्य उजड़ गया था। उन्होने बताया कि इस बार भी रक्षाबंधन पर भद्रा का साया रहेगा। हालांकि भद्रा जब पाताल या फिर स्वर्ग लोक में वास करती है तो इसका धरती वासियों पर खास प्रभाव नहीं होता है, फिर भी कुछ घंटे राखी बांधने से बचें। भद्रा काल समाप्त हो जाने के बाद ही भाई की कलाई पर राखी बांधें।