- मिल्क स्कैनर से पानी, यूरिया, डिटर्जेंट जैसी मिलावट की जांच
- फिलहाल राज्य खाद्य प्रयोगशाला में जांच के लिए समय लगता था
- प्रदेश में ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में सबसे अधिक मिलावट पाई गई
भोपाल। प्रदेश में अब दूध की मौके पर ही 2 मिनट में जांच हो सकेगी। इसके लिए केंद्र सरकार से प्रदेश के सभी जिलों को एक-एक एडवांस मिल्क स्कैनर उपलब्ध कराया जाएगा। इससे दूध में पानी, यूरिया, डिटर्जेंट, ग्लूकोज आदि की मिलावट का पता चल जाएगा। अक्टूबर-नवंबर तक मिल्क स्कैनर मिलने की संभावना है।
लैक्टोमीटर से पानी की मिलावट की जांच
पानी की मिलावट तो अभी भी लैक्टोमीटर से मौके पर ही पता लगाई जा रही है, पर अन्य चीजों की जांच के लिए सैंपल भोपाल स्थित राज्य खाद्य प्रयोगशाला में भेजे जाते हैं। यहां मिल्कोमीटर से परीक्षण किया जाता है, जिसमें लगभग 1 माह लग जाता है। अब जिलों में खाद्य सुरक्षा अधिकारी कहीं भी मिल्क स्कैनर ले जाकर दूध की जांच कर सकेंगे।
नियंत्रक खाद्य एवं औषधि प्रशासन के अधिकारियों ने बताया कि एक मिल्क स्कैनर लगभग 2 लाख रुपये में आता है। स्वास्थ्य विभाग ने वर्ष 2020 में ”मिलावट से मुक्ति” अभियान प्रदेश भर में चलाया था। उस दौरान दूध और दूध से बनी चीजों में सबसे अधिक मिलावट ग्वालियर चंबल क्षेत्र में पाई गई थी।
प्रदेश भर से इतने सैंपल राज्य प्रयोगशाला में भेजे गए थे कि 6 माह में भी जांच पूरी नहीं हो पाई थी, जबकि खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम (FSSAI) के अनुसार, वैध सैंपलों की जांच 14 दिन में होनी चाहिए, लेकिन अभी भी सैंपलों की जांच में लगभग 1 माह का समय लग जा रहा है। अब मिल्क स्कैनर से वैध और सर्विलांस (निगरानी के लिए) दोनों तरह के सैंपल लिए जा सकेंगे।
प्रदेश को मिलेगी 40 चलित लैब
इसके अतिरिक्त 40 चलित लैब भी इस वर्ष के अंत तक प्रदेश को केंद्र से मिलने वाली हैं। इनमें दूध की सभी मापदंडों के आधार पर जांच की जा सकेगी। चलित लैब में अन्य खाद्य पदार्थों की भी जांच हो जाएगी। प्रदेश में पहले से 15 चलित लैब हैं, लेकिन ये पर्याप्त नहीं हैं।