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MP: ‘अनुदान प्राप्त स्कूलों में नई भर्तियों को सैलरी देना सरकार की जिम्मेदारी नहीं’, हाईकोर्ट का आदेश

  1. अनुकंपा नियुक्ति पर स्कूल को खुद वेतन वहन करना होगा
  2. अनुदान प्राप्त स्कूलों में पदों को डाइंग कैडर घोषित किया
  3. मप्र हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के फैसले को सही ठहराया

जबलपुर। हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति विवेक जैन की एकलपीठ ने अपने एक आदेश में कहा है कि राज्य शासन द्वारा सहायता प्राप्त शैक्षणिक संस्थान अनुकंपा के आधार पर किसी व्यक्ति को नियुक्त कर सकते हैं, लेकिन उन्हें वेतन और अन्य सुविधाओं का खर्च खुद वहन करना होगा। इस तरह साफ है कि सहायता प्राप्त स्कूलों में नई भर्तियों को वेतन देना सरकार का दायित्व नहीं है।

ये है पूरा मामला

याचिकाकर्ता जबलपुर निवासी कौशल कुमार कुशवाहा का कहना था कि उनके पिता शासकीय सहायता प्राप्त स्कूल में पदस्थ थे, जिनकी मौत के बाद उन्होंने अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया था। जिला शिक्षा अधिकारी ने सितंबर, 2017 में जारी एक आदेश में कहा कि स्कूल उन्हें अनुकंपा के आधार पर नियुक्त कर सकता है, लेकिन वेतन कौन देना, यह शासकीय निर्णय पर आधारित है।

इस पर याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी गई कि राज्य शासन ने खुद सरकारी सहायता प्राप्त निजी शैक्षणिक संस्थानों को किसी कर्मचारी की सेवा के दौरान मौत की स्थिति में उसके आश्रितों में से एक को अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति देने की व्यवस्था दी है। इस पर राज्य शासन की ओर से हाई कोर्ट को बताया गया कि अब नियम बदल दिए गए हैं। इन संशोधित नियमों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।

रिक्त पद को बट्टाखाते में डाला जाएगा

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि संशोधित नियम वर्ष 2000 से पहले भर्ती हुए सहायता प्राप्त स्कूलों के कर्मचारियों पर लागू नहीं होंगे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राज्य शासन ने आदेश जारी किया कि किसी कर्मचारी के सेवानिवृत्त होने या किसी अन्य कारण से सहायता प्राप्त स्कूलों में नई नियुक्तियां नहीं की जाएंगी। रिक्त पद को बट्टाखाते में डाल दिया जाएगा और पद पर नए सिरे से नियुक्त व्यक्ति को वेतन और भत्तों के लिए सहायता नहीं दी जाएगी।

सभी दलीलें सुनने के बाद हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि राज्य शासन ने सहायता प्राप्त स्कूलों में पदों को डाइंग कैडर घोषित करने का फैसला किया है और रिक्त होने वाले पदों पर कोई नई नियुक्ति की अनुमति नहीं दी जा रही है, लेकिन स्कूल अपने स्तर पर नियुक्ति कर सकते हैं। इस सिलसिले में राज्य शासन से वेतन संबंधी सहायता की उम्मीद नहीं की जानी चाहिए।

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