बरसात के मौके पर रहती है सक्रिय, सरकार की अनदेखी से ग्रामीणों ने निकाला तरीका
सतना, भास्कर हिंदी न्यूज। शीर्षक पढ़कर आप इसे कोई नवचार समझने की भूल न कीजिएगा। यह नेताओं, अफसरों की उपेक्षा का शर्मनाक उदाहरण है। जनता की मजबूरी ही ऐसी है कि अगर वे खाट एम्बुलेंस न चलाएं तो लोगों की जान बचना मुश्किल हो जाए। यह स्थिति उस गांव की है जहां का प्रतिनिधित्व प्रदेश सरकार की राज्यमंत्री प्रतिमा बागरी करतीं हैं। जी हां! बात रैगांव विधानसभा क्षेत्र में आने वाली ग्राम पंचायत पोंडी का गुलुई गांव वर्तमान समय में ऐसा है जहां कोई वाहन नहीं पहुंच सकता। ऐसे में किसी के बीमार होने पर खाट एम्बुलेंस चलानी पड़ती है। वर्तमान स्थिति में ग्रामीणों की जान बचाने का यही मात्र जरिया बचा है। सोहावल विकासखंड की पंचायत पोड़ी के ग्राम गुलुई की आबादी करीब 300 है। डेढ़ किमी लंबा रास्ता इतना दुष्कर हो चुका है कि मुख्य मार्ग से न कोई वाहन जा सकता और न आ सकता। ग्रामीण किसी भी मरीज को चारपाई पर गांव से अस्पताल ले जाने को मजबूर हैं । बस्ती को मुख्य मार्ग से जुडऩे के लिए पक्की सड़क नसीब नही है। जो मुरुम सड़क थी भी उसे नल जल योजना के ठेकेदार ने दलदल में तब्दील कर दिया है।
ग्रामीणों में नाराजगी
गांव वालो ने अपना आक्रोश प्रशासन और सरकार पर जाहिर किया है। गांव के बूढ़े, बच्चे और जवान ने दलदल वाले इस रास्ते में धान का रोपा लगाते हुए अपना गुस्सा दिखा चुके हैं। इसके बाद भी सड़क को मोटरेवल नहीं किया गया।
स्कूल जाते समय बच्चों को परेशानी
गुलुई की सांखी डोहर ने भी अपना गुस्सा जाहिर करते हुए कहा कि बच्चो को स्कूल छोडऩे जाते है,तो इस दलदल वाली सड़क में कई बार बच्चे गिर जाते हैं। चोट लगे न लगे पर कपड़े जरूर खराब हो जाते हैं, जिससे स्कूल जाने की हालत में नहीं रहते। पिछले 20 साल से सड़क का दर्द झेल रहे हैं।
सरपंच भी असहाय
ग्राम पंचायत पोंडी के सरपंच योगेंद्र सिंह ने कहा कि डेढ़ किमी की सड़क के लिए कई बार नेताओं, अधिकारियों से अनुरोध किया लेकिन सड़क नहीं बन सकी। चूंकि पंचायत के पास एक साथ डेढ़ किमी सड़क बनाने का बजट रहता नहीं। लिहाजा नेताओं को ले जा कर दिखाया। फिर भी कोई हल नहीं निकला। यही हाल प्रसिद्ध मसानबाबा धाम पोड़ी का भी है।
जल्द से जल्द बने सड़क
गांव वाले कहते है की गुलाब डोहर पिता विश्राम डोहर की तबियत अचानक खराब होने पर उन्हें चारपाई में लेकर अस्पताल से लिए जाना पड़ा। बच्चो को स्कूल के लिए ऑटो टैक्सी वाले नही आते । छात्र-छात्राएं कीचड़ से सने रास्ते पर पैदल अपना सफर तय करने को मजबूर हैं। बरसात में अगर कोई विपदा आती है, तो गांव में बचाव के साधन उपलब्ध नहीं हो सकते इसलिए शासन प्रशासन से ग्रामीणों ने मांग की है कि जल्द से जल्द सड़क बने।