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ग्राम वड़िया के ग्रामीण आजादी से लेकर आज तक पुल से वंचित, हर साल 4 महीने जान का जोखिम

खंडवा
तहसील मुख्यालय से 12 किमी दूर ग्राम वड़िया के ग्रामीणों को इन दिनों कुंदा नदी पर पुल नहीं होने से काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। यहां के ग्रामीण अपनी जान जोखिम में डालकर नदी पार करने को मजबूर हैं। बारिश के 4 महीने यहां पर रहने वाले ग्रामीणों के लिए मुसीबत बन जाती है। पीपलझोपा की ओर जाने के लिए कुंदा नदी को पार कर जाना पड़ता हैं, जो वड़िया और गोपालपुरा के बीच बहती हैं। करीब 24 से 25 किमी का चक्कर लगाकर पीपलझोपा जाना पड़ रहा हैं।

यदि कुंदा नदी पर पुल बनता हैं, तो इसकी दूरी घटकर 3 किमी रह जाएगी। साथ ही आसपास के 7 से 8 गांवों के लोगों को इसका लाभ मिलेगा। ग्रामीण संतोष आवासे, राजीराम खोड़े, राजेश तंवर, डेमसिंह आदि ने बताया कि कई बार जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों को इस समस्या से अवगत करा चुके हैं, लेकिन किसी ने इस और ध्यान नहीं दिया। गौरतलब है कि 1984 में देजला देवाड़ा जलाशय बनने से वड़िया गांव डूब प्रभावित क्षेत्र में आया था।

बारिश के दिनों में ज्यादा मुसीबतें उठाना पड़ती हैं। कुंदा नदी में बाढ़ का पानी बढ़ने से बुजुर्ग या गर्भवती महिला को पीपलझोपा के शासकीय अस्पताल ले जाने के लिए ट्यूब का सहारा लेना पड़ता हैं, वहीं स्कूली विद्यार्थियों को नदी पार कर पीपलझोपा स्थित हाई स्कूल जाना पड़ता हैं। साथ ही छोटे छोटे बच्चों को माता पिता अपने कंधे पर बैठाकर नदी पार करवाते हैं। पूर्व में नदी पार करते समय कई लोग हादसे का शिकार भी हुए हैं। ग्राम वड़िया के ग्रामीण आजादी से लेकर आज तक पुल से वंचित हैं।

सांसद व विधायक भी कर रहे कोशिश
वहीं सांसद गजेंद्रसिंह पटेल एवं क्षेत्रीय विधायक केदार डावर भी पुल निर्माण के लिए लगातार प्रयासरत हैं। सांसद पटेल ने अपने पिछले कार्यकाल में कुंदा नदी पर पुल निर्माण के लिए पांच करोड़ 35 लाख रुपये का प्रस्ताव बनाकर तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को सौंपकर पुल निर्माण की मांग की थी, लेकिन कोरोना काल के दो साल बीत जाने के कारण राशि स्वीकृत नहीं हो पाई थी।

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