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MP: प्रदेश में अब नहीं पैर पसारेगी अवैध कॉलोनियां, कड़ा कानून बनाने की तैयारी में सरकार

  1. मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने सदन में दी जानकारी
  2. अवैध को वैध नहीं करेंगे, लेकिन देंगे भवन अनुज्ञा
  3. भाजपा विधायक हरदीप सिंह डंग ने उठाया था मुद्दा

Madhya pradesh bhopal illegal colonies will no longer spread in madhya pradesh government is preparing to make strict law: digi desk/BHN/भोपाल/  प्रदेश में अवैध कॉलोनियां न बनें, इसके लिए सरकार कड़ा कानून बनाने जा रही है। यह जानकारी गुरुवार को विधानसभा में नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने दी। उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी अवैध कालोनी को वैध नहीं किया जा रहा है पर रहवासियों को भवन अनुज्ञा दे रहे हैं।

ऐसा इसलिए क्योंकि होता यह है कि वैध कालोनी वाला भूखंड एक हजार रुपये वर्ग फुट में और उससे आधा किलोमीटर महज की ही दूरी पर स्थित अवैध कालोनी वाला भूखंड 250 रुपये वर्ग फुट में बिक जाता है। भूखंड बेचने वाला तो फिर दिखता ही नहीं और लोग मकान बनाकर रहने लगते हैं।

चूंकि, हम चुनाव लड़ते हैं तो लोग हमको घेरते हैं कि आप सड़क बनाइए और पानी दीजिए। ऐसे में अब कड़े नियम लागू किए जाएंगे। दरअसल, भाजपा विधायक हरदीप सिंह डंग ने सदन में सुवासरा विधानसभा क्षेत्र में अवैध कॉलोनियों का विषय उठाया था।

उन्होंने कहा कि जहां पहले खेत हुआ करते थे, वहां अब कॉलोनी बनाई गईं। इन्हें अवैध माना जाता है। ऐसी कॉलोनियों को वैध किया जाए ताकि सड़क, नाली, पानी सहित अन्य सुविधाएं मिल जाएं। अन्य सदस्यों ने भी यह बात उठाई।

इस पर मंत्री विजयवर्गीय ने सदन को बताया कि अवैध कालोनियों को वैध नहीं किया जा रहा, पर वहां नागरिक सुविधाएं मिल जाएं, अधोसंरचना का विकास हो, रहवासी भवन अनुज्ञा ले सकें, यह काम अवश्य जनहित में किया जा रहा है।

कड़ा कानून बनाया जा रहा है

अवैध कॉलोनियां बन ही न पाएं, इसके लिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर कड़ा कानून बनाया जा रहा है। नगरीय निकायों की भूमि को लेकर स्पष्टता के लिए सभी कलेक्टरों को निर्देश दिए जाएंगे कि वे चिह्नांकित करें कि राजस्व की भूमि कौन सी है और निकायों की कौन सी है।

कंपनी को लाभ पहुंचाने की होगी जांच

कांग्रेस विधायक जयवर्धन सिंह ने भोपाल और जबलपुर में बसों के संचालन में गड़बड़ी का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि अमृत योजना में जो प्रविधान थे, उनका उल्लंघन किया गया। जितनी बसें चलाई जानी थीं, उतनी ठेकेदार ने नहीं चलाईं। जब आवश्यकता नहीं थी तो फिर दोबारा टेंडर क्यों किए गए।

बस संचालन के लिए अतिरिक्त सात करोड़ रुपये की मदद प्रति वर्ष देने का निर्णय लिया गया। नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ने आश्वासन दिया कि प्रमुख सचिव से जांच कराएंगे। इसमें यह दिखाया जाएगा कि विशेष अनुदान टेंडर की शर्तों के अंदर दिया गया या नहीं। इसमें किसी भी प्रकार की कोई अनियमितता होगी तो कार्रवाई की जाएगी।

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