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ब्रिटेन में सर्वोच्च सदन के चुनाव से लगातार दूसरी बार गोरखपुर का कनेक्शन जुड़ा, चुने गए इस सांसद की गोरखपुर में है ननिहाल

गोरखपुर
ब्रिटेन में सर्वोच्च सदन के चुनाव से लगातार दूसरी बार गोरखपुर का कनेक्शन जुड़ा है। ग्रेटर मैनचेस्टर के स्टॉकपोर्ट से लेबर पार्टी से एक बार फिर नवेन्दु मिश्रा सांसद चुने गए हैं। उन्होंने 15 हजार से अधिक मतों से जीत हासिल की है। ब्रिटेन के युवा सांसदों में से एक नवेन्दु का गोरखपुर में ननिहाल है। माना जा रहा है कि नई सरकार में नवेन्दु को पार्टी सरकार में अहम जिम्मेदारी दे सकती है। मूलत: कानपुर के रहने वाले नवेंदु मिश्रा की मां मीनू मिश्रा का मायका गोरखपुर शहर में काली मंदिर के पास है। नवेंदु महानगर के वरिष्ठ हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. बीबी त्रिपाठी के भांजे हैं। मामा नीलेन्द्र पाण्डेय व ममेरे भाई आकाश ने बताया कि वर्ष 1989 में नवेन्दु का जन्म हुआ। पिता पेट्रोलियम कंपनी में बड़े अधिकारी थे। करीब 25 साल पहले उनके पिता ने ब्रिटेन की पेट्रोलियम कंपनी को ज्वाइन किया। बाद में उनका परिवार ब्रिटेन में जाकर बस गया। नवेन्दु के साथ छोटे भाई दिव्येन्दु और बहन मिताली की शिक्षा-दीक्षा ब्रिटेन में ही हुई है। पढ़ाई पूरी करने के साथ ही नवेन्दु ने लेबर पार्टी ज्वाइन कर ली।

भारत से रिश्ते और होंगे मजबूत
नवेन्दु ने बताया कि भारत और ब्रिटेन के रिश्ते काफी पुराने हैं। दोनों देशों की प्रगाढ़ता बढ़ रही है। यह रिश्ता और मजबूत होगा। दोनों देशों के बीच साझेदारी में कला, शिक्षा, संस्कृति और पर्यटन में अपार संभावनाएं हैं। इस साझेदारी में यूपी की भी हिस्सेदारी है। यूपी में निवेश की अपार संभावना है। यूपी इन्वेस्टर्स समिट के 10 साझेदार देशों में ब्रिटेन शामिल है। उत्तर प्रदेश में निवेश को ब्रिटिश कंपनियां इच्छुक हैं। उन्हें यहां बड़ी संभावनाएं दिख रही हैं। यह दोनों देशों को सामान्य तौर पर फायदा पहुंचाएगा।

57 फीसदी से अधिक मत मिले
नवेन्दु मिश्रा ने 15 हजार से अधिक मतों से जीत हासिल की है। इस सीट पर सात प्रत्याशी मैदान में थे। अकेले नवेन्दु को 57 फीसदी से अधिक 21787 मत मिले। दूसरे स्थान पर रिफार्म पार्टी के लिन्न स्कोफिल्ड रहे।

भारत में विवाह करेंगे नवेन्दु मिश्रा
वरिष्ठ हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. बीबी त्रिपाठी ने बताया कि नवेन्दु के दिल में हिन्दुस्तान बसता है। वह अब तक अविवाहित हैं। वह भारत में ही विवाह करने के इच्छुक हैं। वह हर छह से आठ महीने में एक बार अपने घर व ननिहाल जरूर आते हैं। चार महीने पहले ही गोरखपुर आए थे।

 

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