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राहुल गाँधी की ‘हिन्दुत्व’ पर टिप्पणी सभी के लिए चिंतनीय

जो लोग अपने आपको हिन्दू कहते हैं वे 24 घण्टा हिंसा,नफरत करते और असत्य कहते हैं,,,यह बयान है नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के नेता राहुल गाँधी का। इस नेता को खौफ का अहसास तो करवाना ही होगा वर्ना ये अपनी सत्ता वापसी के लिए हमारे धर्म को अपने घ्रणित बाँणों से छलनी करता ही रहेगा।

कुछ समय से सनातन को,हिन्दू धर्म को,हिंदुत्व को और इसी का आधार बनाकर भारतीय जनता पार्टी, नरेंद्र मोदी को और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को खुलकर बिना संकोच के गालियां दे रहे हैं लोग,,,और सबसे ज्यादा मुखर हैं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता राहुल गाँधी।

चाहे जैन हों,,,सिख हों,,,दलित हों,ब्राह्मण हों,,,वैश्य हों,,,क्षत्रिय हों यां अम्बेडकर के अनुयायी हों हम मूल रूप से सहिष्णु और अहिंसक वृति का पालन करने वाले धर्म से हैं “सनातन धर्म”। और हमारे मूल भाव अहिंसा को ही कल संसद में राहुल गाँधी ने “हिन्दू हिंसक होते हैं” कहकर चुनौती दे दी है हमारे धर्म के मर्म पर चोट कर दी।

इससे सौ गुना कमतर बयान अगर उन्होंने मुस्लिम धर्म पर दिया होता तो कुछ घंटो में ही पूरी दुनियां में कोहराम मच जाता और फतवा भी निकल चुका होता स्व कन्हैयालाल और नूपुर शर्मा का उदहारण हमारे सामने है।

हमको चिंतन करना होगा की आखिर हमारे धर्म पर विपरीत टिप्पणी क्यों दरअसल यह एक सोची समझी योजना के अंतर्गत कर रहे हैं ये क्योंकि हिन्दू और सनातन का विरोध करने से उन्हें मुस्लिमों का समर्थन और वोट दोनों ही निरंतर बढ़ रहे हैं और यह मुस्लिमों का समर्थन ही था की वे 40 से 99 पर पहुँच गए। और यहां हममें से करोणों लोग अपने निजी स्वार्थ का लोभ छोड़ नहीं पा रहे हैं और आंखे मुंदकर अपना समर्थन उन्हें दे रहे हैं जोकि हमारे धर्म को खत्म करना चाहते हैं।

यह स्वार्थ लोलुपता की पराकाष्ठा है और हम ऐसे ही अपने निजी स्वार्थ वश बंटे रहे अपनी अपनी जातियों और विचारधाराओं में तो हमारा वजूद खतरे में है यह सिर्फ थोड़े समय की ही बात होगी की हमारे ही देश में एकदिन टुकड़े टुकड़े, विखंडित होकर समाप्त होने की कगार पर होंगे और कोई गलत फहमी में मत रहिएगा की ऐसा तो अभी संभव नहीं है हमारे असितत्त्व को चुनौती ही है कल का राहुल गाँधी का बयान,,,

चिंतन करना होगा कांग्रेस और indi गठबंधन में सक्रिय उद्धव ठाकरे को शरद पवार को, अखिलेश यादव को, संजय सिंह और सनातन धर्म जुड़े ऐसे असंख्य नेताओं को, की कब तक अपने राजनैतिक स्वार्थ पूर्ति के लिए अपने पुरखों की विचारधारा और धर्म के द्रोही रहेंगे? तय करना ही पड़ेगा वर्ना उनके पुरखे और उनकी आने वाली पीड़ियां उन्हें कभी माफ नहीं करेंगी। तय करना ही पड़ेगा की वर्तमान हालात में हमने अपने धर्म रक्षा के लिए स्वयं को जाग्रत नहीं किया तो हमारे बच्चे निकट भविष्य में ही अपनी धार्मिक स्वतंत्रता खो चुके होंगे।

हिन्दू भगवान परशुराम के उपासक हैं और जब अपनी धर्म रक्षा के लिए उठ खडे होते हैं तो विरोधी को पृथ्वी पर कही भी छुपने का स्थान बाकि नहीं होता आइये हम अपने आराध्य भगवान श्रीकृष्ण की सिख को अमल में लेकर अपने विरोध का सुदर्शन चक्र चला ही दें और अहिंसा के सांथ इन जैसे दुष्टों को तांडव दिखा ही दें..।

-रूपचंद भीमनानी

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