ग्वालियर। एक गरीब बूढ़ी मां को पैसों के लिए बेटे के हाथों से पिटते हुए देखा तो मन में दर्द उठ आया। उसी दिन संकल्प किया कि ऐसी महिलाओं के लिए अब वे ही सहारा बनेंगी। इसके बाद कोरोनाकाल के शुरूआती समय में एक किराये का मकान लेकर वृद्घाश्रम शुरू किया। एक महिला से शुरू हुए इस आश्रम में अब 25 से अधिक वृद्घा निवास कर रही हैं। इस आश्रम की जानकारी मिलने पर विभिन्न समाजसेवी और आमजन ने भी मदद के लिए हाथ बढ़ाया है।
मां चिंताहरणी परिवार वृद्घाश्रम की शुरूआत कोरोना महामारी के प्रारंभिक दौर में हुई। आश्रम की संचालिका बबीता आर्य ने बताया कि शुरूआत एक महिला के साथ की गई। यह वही महिला थी जिसे उसका बेटा पैसों के लिए पीटता था। सिकंदर कंपू ढोकलपुरा के पास पंचमुखी कॉलोनी में किराए के मकान में खोले गए इस आश्रम का पता चलते ही आसपास के लोगों ने उन महिलाओं के बारे में बताना शुरू कर दिया जो परिवार या अन्य कारणों से बेहद दुखी थीं। इन सभी महिलाओं को इस आश्रम में लाया गया। वर्तमान में 25 वृद्घा महिलाएं इस आश्रम में रह रही हैं।
यह है महिलाओं की डाइट
सुबह सभी वृद्घाओं को चाय-नाश्ता दिया जाता है। इसके बाद दोपहर में भोजन । भोजन का साप्ताहिक चार्ट बनाया गया है जिसके अनुसार सभी को प्रतिदिन लगभग अलग-अलग सब्जी व अन्य खाद्य सामग्री दी जाती है। शाम को चाय और नाश्ता दिया जाता है।
पड़ोसी व समाजसेवी करते हैं मदद
वृद्घाश्रम की जानकारी मिलने पर आस-पड़ोस के लोगों ने भी आश्रम को मदद देना शुरू कर दिया। इसके साथ ही अन्य समाजसेवी संस्थाएं भी इन महिलाओं के लिए भोजन, कपड़े आदि का इंतजाम करने लगी हैं।