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मप्र में एक हजार से अधिक बढ़े पर्यावरण के निशुल्क सफाईकर्मी गिद्ध, 9408 का हुआ कुनबा

valture in m.p:digi desk/BHN/पर्यावरण को स्वच्छ रखने वाले गिद्धों को मप्र रास आने लगा है। बीते दो साल में इनके कुनबे में 1,011 की बढ़ोतरी हुई है। प्रदेश में इनकी कुल संख्या 9,408 हो गई है। ये सड़े-गले मृतजीवों, मवेशियों को खाकर हमें गंदगी व महामारी के खतरे से बचाते हैं। पर्यावरण संतुलन बनाने में मदद करते हैं। इन्हीं कारणों से इन्हें पर्यावरण का निशुल्क सफाईकर्मी कहा जाता है।

शुक्रवार को गिद्धों की गिनती का अंतिम चरण पूरा हो गया है। यह गिनती दो चरण में की गई। पहला चरण 21 से 30 नवंबर 2020 तक चला था। दूसरे चरण के तहत शुक्रवार को गिनती की गई। इसके पहले 2019 में गिनती हुई थी तब 8,397 मिले थे। प्रदेश में गिद्धों की संख्या तेजी से कम हो रही थी, इन्हें बचाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इन्हें 2016 में पहली बार गिना गया था, ये 6,900 मिले थे। गिद्धों की संख्या वन वृत्त और टाइगर रिजर्व व नेशनल पार्क में अलग-अलग की गई है।

दवा ने घटाई आबादी
विभिन्न शोध में पता चला है कि गिद्धों की सबसे अधिक मौत 1990 में हुई है। इसकी वजह पशुओं को दी जाने वाली दवा डाइक्लोफेन को जिम्मेदार बताया जाता है। ये दवा पशुओं के जोड़ों के दर्द को मिटाने में मदद करती है। जब उक्त दवा के डोज वाले पशु मरते हैं और उन्हें जो गिद्ध खाते हैं उनकी मौत हो जाती है। बता दें कि केंद्र व राज्य सरकार गिद्धों को संरक्षित कर रही है। हाल ही में केंद्र सरकार ने भोपाल के मंडोरा स्थित गिद्ध प्रजनन केंद्र में इंक्यूबेशन सेंटर खोलने और अन्य राज्यों में गिद्ध प्रजनन केंद्र खोलने के लिए सहमति दी है।
अधिक ऊंचाई से भी देख लेते हैं मृत मवेशी
गिद्ध ऊंची उड़ान भरकर इंसानी आबादी के नजदीक या जंगलों में मृत जीव, पशुओं व वन्यजीवों को खोज लेते हैं और उन्हें खाते हैं। यह समूह में रहते हैं। भारतीय गिद्ध का सर गंजा होता है, उसके पंख बहुत चौड़े होते हैं। वजन 5.5 से 6.3 किलो तक होता है। लंबाई 80-103 सेमी. तथा पंख खोलने में 1.96 से 2.38 मीटर की चौड़ाई होती है।
प्रदेश में कब कितने गिद्ध मिले
    साल    –  गिद्ध
  • 2016  6,900
  • 2017  7,000
  • 2019  8,397
  • 2021  9,408

     

    सबसे ज्यादा छतरपुर संभाग में 
     वन वृत्त  गिद्ध
  • छतरपुर  1435
  • उज्जैन  1006
  • भोपाल  821
  • रीवा  783
  • ग्वालियर  564
  • सागर  535
  • शहडोल   324
  • जबलपुर  254
  • शिवपुरी  209
  • छिंदवाड़ा  104
  • सिवनी  56
  • इंदौर  46
  • बालाघाट  0
  • बैतूल  0
  • होशंगाबाद  0
  • खंडवा  0
टाइगर रिजर्व/नेशनल पार्क में गिद्ध

 

  • पन्ना टाइगर रिजर्व–666
  • कुनो लायन प्रोजेक्ट–335
  • माधव नेशनल पार्क–176
  • संजय टाइगर रिजर्व– 171
  • बांधवगढ़ रिजर्व–159
  • सतपुड़ा टाइगर रिजर्व–133
  • कान्हा टाइगर रिजर्व–98
  • पेंच टाइगर रिजर्व–24
यह भी जानें-

 

  • 1,812 घोंसले मिले
  • 1,509 अवयस्क गिद्ध मिले
  • 7,899 वयस्क गिद्ध मिले
  • 16 वन वृत्त में की गिनती
  • 08 संरक्षित क्षेत्रों में भी की गिनती
  • 1,014 गिद्ध बढ़े दो साल में

 

ऐसे की गिनती

 

मप्र वन्यप्राणी विभाग के उप वन संरक्षक रजनीश कुमार सिंह ने बताया कि पहले चरण के तहत 21 से 30 नवंबर 2020 तक गिनती की गई थी। इसमें 41 जिलों में 1550 घोंसले चि-त किए थे। इन घोंसलों के आसपास 5,000 वनकर्मी तैनात किए थे। उन्होंने सूर्य निकलने के बाद गिनती शुरू की। घोंसलों में व उसके आसपास बैठे गिद्धों को ही गिना गया, उड़ते हुए गिद्धों को गिनती में शामिल नहीं किया। गिनती में मिले गिद्धों की यह अनुमानित संख्या है। फरवरी माह के अंत में अंतिम आंकड़े जारी किए जाएंगे। प्रदेश में गिद्धों की सात प्रजातियां मिलती हैं। इनमें से चार स्थानीय व तीन प्रवासी हैं। प्रवासी प्रजाति के गिद्ध ठंड के अंतिम दिनों में चले जाते हैं।

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