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कलकत्ता हाई कोर्ट ने एक जूनियर वकील की क्लास लगाई, कैदी को लिखवाया माफीनामा

कोलकाता
कलकत्ता हाई कोर्ट में आज (शुक्रवार, 12 अप्रैल) तब अजीबोगरीब हालात पैदा हो गए, जब जस्टिस जॉयमाल्या बागची और जस्टिस गौरंग कंठ की पीठ ने कथित बलात्कार के एक मामले की सुनवाई के दौरान अदालत में  केस से जुड़े कागजात के बिना हाजिर होने और सुनवाई में स्थगन की मांग करने के लिए एक जूनियर वकील की क्लास लगा दी। जस्टिस बागची ने जूनियर के साथ-साथ सीनियर वकील को भी फटकार लगाई और दोनों से कहा कि वे कोर्ट से माफी मांगने की बजाय जेल में बंद उस कैदी को माफीनामा लिखें, जिन्होंने उन पर भरोसा जताया था।

जब कोर्टरूम में उस केस की सुनवाई की बारी आई, तो जूनियर वकील ने खड़े होकर कहा, "मुझे बेहद खेद है मिलॉर्ड्स। मैं केस से जुड़े कागजात नहीं ला सका। कृपया इस केस में स्थगन दे दीजिए।" इस पर  जस्टिस बागची भड़क गए और पूछा, "किस बात का अफसोस? आप अपने मुवक्किल को माफीनामा लिखिए। और आप अकेले नहीं बल्कि  आपके सीनियर भी उस कैदी को माफीनामा लिखें, जिन्होंने आप पर भरोसा किया था और मामले की पैरवी के लिए आपको चुना था।"

जस्टिस बागची इतने पर ही नहीं रुके। उन्होंने कहा, "आप माफीनामा में यह भी लिखें कि जज जमानत देने के इच्छुक थे, लेकिन क्योंकि हम तैयार नहीं थे, इसलिए आपको (आरोपी) आज जमानत पर रिहा नहीं किया जा सका।" इसके साथ ही जस्टिस बागची ने झिड़की देते हुए कहा, "खबरदार! अब से, केस से जुड़े कागजात के बिना इस अदालत या बल्कि किसी भी अदालत में मत आना। और हमें सॉरी मत बोलना। मैं और मेरा जज भाई जेल में नहीं हैं।"

 जस्टिस बागची पूरे फॉर्म में थे। उन्होंने कहा, "संभवतः जिसने आपको और आपके वरिष्ठ को अहम जिम्मेदारी दी, वह जेल में है। और उसने आप पर और आपके वरिष्ठ पर जो भरोसा जताया है, उसके बदले आप लोगों द्वारा यहां धोखा दिया जा रहा है। एक जूनियर के रूप में यह पहला सबक है जो आप सीखते हैं। अपने मुवक्किल के साथ कभी विश्वासघात न करें।" उन्होंने फिर ठंडा होते हुए जूनियर से पूछा कि आपने पांच साल तक कानून की पढ़ाई करते हुए यह सब नहीं सीखा? जब जूनियर ने हां कहा तो जस्टिस बागची नरम हो गए और सीनियर को पेश होने का आदेश दिया।

 

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