Court News:digi desk/BHN/ विशेष सत्र न्यायालय में गुरुवार को चिरायु मेडिकल कालेज भोपाल के साथ मिलकर पीएमटी फर्जीवाड़ा करने वाली चार युवतियों ने सरेंडर कर दिया और इन्हें अंतरित जमानत पर रिहा कर दिया। एक युवती को हाई कोर्ट से जमानत नहीं मिलने पर उसने हाजिरी माफी का आवेदन पेश किया। सीबीआइ ने जांच में खुलासा किया है कि चिरायु मेडिकल कालेज ने सरकारी कोटे की सीटों को एक दिन में ही भर दिया, जबकि इन्हें भरने की प्रक्रिया एक महीने में पूरी करनी थी। जिन्हें प्रवेश दिए, उनकी न योग्यता देखी गई न नियम देखे गए। पैसे के दम पर प्रवेश दिए गए थे, चिरायु की प्रवेश प्रक्रिया दूषित थी। हालांकि सीबीआइ ने अपनी जांच में यह खुलासा नहीं किया कि चिरायु ने सीट कितने पैसे में बेची थी।
चिरायु मेडिकल कालेज में शासन कोटे की 63 सीटें थीं। वर्ष 2011 में 47 सीटों को गलत तरीके से खाली रखा गया। ऐसे विद्यार्थियों को प्रवेश दिया गया, जिन्होंने काउंसिलिंग में भाग ही नहीं लिया था। व्यापम कांड के खुलासे के वक्त झांसी रोड थाने में तीन लोगों के खिलाफ एफआइआर दर्ज की थी। एसआइटी तीन लोगों के खिलाफ चालान पेश कर चुकी थी। वर्ष 2015 में यह केस सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सीबीआइ के हेंडओवर हो गया। सीबीआइ ने पांच साल इस मामले की जांच की। सात जनवरी को सीबीआइ ने इस मामले में 60 आरोपितों के खिलाफ चालान पेश किया था, लेकिन हाई कोर्ट ने पांच-पांच आरोपित बुलाने का आदेश दिया था। विशेष सत्र न्यायालय ने नेहिल निगम, दीक्षा चाचरिया, फराह खान, प्रद्न्या दिलीप कापदेव, वोल्गा कैथवार को समन जारी कर तलब किया था। गुरुवार को नेहिल, दीक्षा, फराह व प्रद्न्या हाई कोर्ट से अग्रिम जमानत के साथ उपस्थित हुईं। इन्हें चालान की शीट उपलब्ध कराई गई। चारों को कोर्ट ने एक लाख के जमानत मुचलके पर रिहा कर दिया, जबकि वोल्गा कैथवार को हाई कोर्ट से जमानत नहीं मिली। वोल्गा कोर्ट में उपस्थित नहीं हुई और वकील की ओर से हाजिरी माफी का आवेदन पेश किया गया।
- – चिरायु मेडिकल कालेज के प्रबंधन को पहले से ही पता था कि सरकारी कोटे की सीटें खाली रहने वाली हैं। जिन्हें इस सीट पर प्रवेश दिया जाना था, उनके शपथ पत्र के स्टांप 28 सितंबर 2011 को खरीद कर लिए थे। 29 सितंबर को प्रवेश प्रक्रिया का आखिरी दिन था, उसी दिन चिरायु ने 39 विद्यार्थियों को प्रवेश दे दिया।
- – चिरायु ने 39 नए प्रवेश दिए थे, इनके पास पीएमटी में एमबीबीएस में प्रवेश लेने लायक नंबर नहीं थे। जैसे कि 200 नंबर में से नेहा पदम ने 88, लोकेश सोनी के 85, वोल्गा कैथवार के 81, देवयानी 92 व गौरव वर्मा के 92 नंबर थे। ये प्रवेश के लिए पात्र नहीं थे, फिर भी इन्हें प्रवेश दिया गया।
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– प्रदेश की छह निजी मेडिकल कालेज की प्रवेश प्रक्रिया को एडमिशन कमेटी ने दूषित माना था। इन कालेजों पर 2.25 करोड़ का जुर्माना भी लगाया था। इन छह मेडिकल कालेजों में चिरायु का भी नाम शामिल था। कालेजों ने अपील भी की थी, लेकिन इनकी अपील खारिज करते हुए निर्देशित किया गया था कि 2009 से 2011 के बीच में दिए प्रवेश की भी जांच की जानी चाहिए।
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उमेश बघेल, यशपाल नागर, प्रदीप कुमार, धर्मेंद्र कुमार, शिवराज जाट रेजीडेंट डाक्टर थे। इन्हें पीएमटी पास कर चिरायु में सरकारी कोटे की सीट अलोट कराई थी। आखिरी में अपना प्रवेश रद्द करा लिया था। उमेश उत्तर प्रदेश में रेजीडेंड डाक्टर था और यशपाल नागर, प्रदीप कुमार, धर्मेंद्र कुमार, शिवराज जाट राजस्थान में डाक्टर थे।