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जयपुर नगर निगम पर 8 करोड़ रुपए का जुर्माना ठोका जा सकता है, सुनवाई 1 अप्रैल को होगी

जयपुर
सफाई औऱ ठोस कचरा प्रबंधन को लेकर जयपुर नगर निगम पर 8 करोड़ रुपए का जुर्माना ठोका जा सकता है। अशोक मलिक बनाम जयपुर नगर निगम के मामले की बुधवार को राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) में सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता आशोक मलिक ने कोर्ट को बताया कि NGT में आवेदन करने के बाद भी जयपुर शहर में ठोस अपशिष्ट (कचरा) प्रबंधन की स्थिति खराब है और नागरिकों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल (आरएसपीसीबी) के वकील रोहित शर्मा ने बताया कि उन्होंने नगर निगम पर लगने वाले जुर्माने की गणना की है जो लगभग 8 करोड़ रुपए या उससे अधिक है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहाकि वर्तमान में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के कारण जयपुर पर जुर्माना नहीं लगाया जा सकता।
इस पर NGT के न्यायिक सदस्य जस्टिस शिव कुमार सिंह ने कहाकि सर्वोच्च न्यायालय ने जिस मामले में पेनल्टी पर रोक लगाई है, वह पूरे राजस्थान पर लागू होती है, जयपुर नगर निगम पर नहीं। इसलिए जयपुर के लिए अलग से जुर्माना लगाया जा सकता है। जयपुर नगर निगम हैरिटेज की ओर से अधिवक्ता कछवाहा ने पैरवी की।

याचिकाकर्ता ने यह भी तर्क दिया कि यदि मामला सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है तो वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए आशोक मलिक उस रोक को हटाने के लिए याचिका दायर करेंगे। क्योंकि, राज्य सरकार रोक के आदेशों का दुरुपयोग कर रही है।
सरकार उचित अपशिष्ट प्रबंधन रणनीतियां अपनाने में विफल रही है। NGT इस मामले की अगली सुनवाई 1 अप्रैल 2024 को करेगी। लेकिन, यह जानना जरूरी है कि क्या नगर निगम हैरिटेज सिर्फ 8 करोड़ के जुर्माने से बचने के लिए यह तर्क दे रहा है कि मामला रूका हुआ है।

सर्वोच्च न्यायालय उस रोक को हटा सकता है, जिससे वर्तमान में रुके हुए 3000 करोड़ रुपये के जुर्माने का मामला भी खुल सकता है। यदि याचिकाकर्ता आशोक मलिक सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष अवकाश याचिका दायर करते हैं और राज्य सरकार अपशिष्ट का प्रबंधन ठीक से नहीं करती है तो सर्वोच्च न्यायालय सरकार को रोक हटाकर जुर्माना भरने का आदेश दे सकता है।

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