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Shattila Ekadashi : 6 फरवरी को पड़ रही है षटतिला एकादशी, इन मंत्रों के जाप से हर इच्छा होगी पूरी

  1. इस दिन हवन, तिल का दान, जल में तिल डालकर स्नान करना चाहिए
  2. षटतिला एकादशी के दिन पूजा करने के बाद तिल से तर्पण करें
  3. एकादशी के दिन दान करने का विशेष महत्व है

Spiritual vrat tyohar shattila ekadashi 2024 will be celebrated on 6th february every wish will be fulfilled and chant these mantras: digi desk/BHN/इंदौर/: सनातन धर्म में एकादशी की तिथि महत्वपूर्ण मानी जाती है। माघ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को षटतिला एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस बार षटतिला एकादशी 6 फरवरी को पड़ रही है। इस खास दिन पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने और उनके निमित्त व्रत रखने का विधान है। मान्यता है कि ऐसा करने से सभी समस्याओं से मुक्ति मिलती है और अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं।

शास्त्रों में भगवान विष्णु को समर्पित कुछ विशेष मंत्रों के बारे में बताया गया है। पूजा के दौरान इन मंत्रों का जाप करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होकर अपनी कृपा जातक पर बरसाते हैं। भगवान विष्णु को समर्पित मंत्र इस प्रकार है।

षटतिला एकादशी व्रत के मंत्र

1. श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे।

हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।

2. ॐ नारायणाय विद्महे।

वासुदेवाय धीमहि ।

तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।

3. ॐ विष्णवे नम:

4. शांता कारम भुजङ्ग शयनम पद्म नाभं सुरेशम।

विश्वाधारं गगनसद्र्श्यं मेघवर्णम शुभांगम।

लक्ष्मी कान्तं कमल नयनम योगिभिर्ध्यान नग्म्य्म।

5. धन-समृद्धि मंत्र

ॐ भूरिदा भूरि देहिनो , मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि ।

ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि ।

6. लक्ष्मी विनायक मंत्र

दन्ता भये चक्र दरो दधानं,

कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।

धृता ब्जया लिंगितमब्धि पुत्रया,

लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।

7. विष्णु के पंचरूप मंत्र

ॐ अं वासुदेवाय नम:।।

ॐ आं संकर्षणाय नम:।।

ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:।।

ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:।।

ॐ नारायणाय नम:।।

ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते।।

8. कायेन वाचा मनसेन्द्रियैर्वा ।

बुद्ध्यात्मना वा प्रकृतिस्वभावात् ।

करोमि यद्यत्सकलं परस्मै ।

नारायणयेति समर्पयामि ॥

कायेन वाचा मनसेन्द्रियैर्वा

बुद्ध्यात्मना वानुसृतस्वभावात् ।

करोति यद्यत्सकलं परस्मै

नारायणयेति समर्पयेत्तत् ॥

9. ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:

अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय

त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप

श्री धनवंतरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः॥

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