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Parshuram Jayanti: इस शुभ मुहूर्त में करें भगवान परशुराम की पूजा, जानें जन्म की रोचक धार्मिक कथा

Parshuram Jayanti 2022: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ हिंदू धर्म में मान्यता है कि भगवान परशुराम आज भी जीवित है और तीनों लोगों में विचरण करते हैं। ऐसी मान्यता है कि भगवान परशुराम जन्म से भले ही ब्राह्मण थे, लेकिन कर्म से उनमें क्षत्रिय गुण थे। भगवान परशुराम ने अपने पिता की हत्या का बदला लेने के लिए 17 बार धरती से क्षत्रियों का नाश कर दिया था। ब्राह्मण कुल में पैदा होने के बावजूद क्षत्रियों के समान गुस्सैल होने का कारण भी उनके जन्म से ही जुड़ा हुआ है। आइए जानते हैं भगवान परशुराम के जन्म से जुड़ी हुई रोचक कहानी के बारे में –

Parshuram Jayanti को लेकर धार्मिक मान्यता

पौराणिक मान्यता है कि महर्षि भृगु के पुत्र रिचिक का विवाह राजा गढ़ी की पुत्री सत्यवती से हुआ था। सत्यवती अपने पिता की इकलौती पुत्री थी और उनके कोई भाई बहन भी नहीं थे। रिचिक से विवाह के बाद सत्यवती ने महर्षि भृगु से अपने और अपनी माता के लिए उपयुक्त पुत्र की प्रार्थना की थी, तब महर्षि भृगु ने सत्यवती को क्षत्रिय और ब्राह्मण गुणों को जन्म देने वाले दो फल दिए और साथ ही एक फल स्वयं को और दूसरा अपनी माता को देने के लिए कहा। लेकिन भूलवश सत्यवती ने अपनी माता को ब्राह्मण गुणों वाला खिला दिया और खुद ने क्षत्रिय गुणों वाले फल खा लिया।

बाद में जब सत्यवती ने महर्षि भृगु ने यह बात बताई तो उन्होंने कहा कि “तुम्हारी भूल के कारण तुम्हारा पुत्र में भले ही वह ब्राह्मण कुल में पैदा होगा, लेकिन उसमें क्षत्रिय गुण होंगे और तुम्हारी माता का पुत्र क्षत्रिय होते हुए भी ब्राह्मण जैसा व्यवहार करेगा।” इसके बाद सत्यवती ने महर्षि भृगु से निवेदन किया कि मेरा पुत्र क्षत्रिय गुणों का न हो, भले ही मेरा पौत्र (पुत्र का पुत्र) ऐसा ही क्यों न हो।” कुछ समय बाद जब सत्यवती के गर्भ से ऋषि जमदग्नि से जन्म लिया तो उनकी शादी रेणुका माता से हुई थी और भगवान परशुराम ने जमदग्रि मुनि के चौथे पुत्र के रूप में जन्म लिया। उनका आचरण क्षत्रियों के समान था।

भगवान परशुराम की पूजा विधि

अक्षय तृतीया तिथि की सुबह पवित्र नदी में स्नान करें। इसके बाद व्रत का संकल्प लें। भगवान परशुराम की मूर्ति या चित्र को किसी साफ जगह पर स्थापित करें। हल्की धूप, पंचोपचार पूजा करें। चावल, अबीर, गुलाल आदि चीजें चढ़ाएं। भगवान को प्रसाद चढ़ाएं। भगवान परशुराम के सामने अपनी इच्छा व्यक्त करें और आरती करें और लोगों के बीच प्रसाद बांटे। इस दिन व्रत रखने वाले लोगों को किसी भी प्रकार का अनाज नहीं खाना चाहिए। फल खा सकते हैं।

पूजा का शुभ मुहूर्त

अक्षय तृतीया तिथि 3 मई मंगलवार की सुबह 05:19 से शुरू होगी, जो अगले दिन 4 मई बुधवार की सुबह 07:33 बजे तक रहेगी। तृतीया तिथि दो दिनों तक सूर्योदय रहेगी, लेकिन इस दौरान स्नान, दान आदि कार्य 3 मई को करना सबसे अच्छा रहेगा, इसलिए इस दिन भगवान परशुराम की पूजा करना शुभ रहेगा। रोहिणी नक्षत्र होने के कारण इस दिन मातंग नाम का शुभ योग भी बन रहा है।

 

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