Afganistan Crisis: digi desk/BHN/ अफगानिस्तान में 15 अगस्त के दिन तालिबान का कब्जा होने के बाद लोग बड़ी संख्या में काबुल एयरपोर्ट पर जमा हो गए थे। ये लोग तालिबान से बचकर किसी दूसरे देश में जाना चाहते थे। इसके बाद 31 अगस्त की डेडलाइन तय की गई और अमेरिकी सेना ने 31 अगस्त को अफगानिस्तान छोड़ दिया। इससे पहले काबुल एयरपोर्ट अमेरिका के कब्जे में था और यहां से बड़ी संख्या में लोगों को रेस्क्यू किया गया। अब जो लोग अफगानिस्तान में रह गए हैं वो बॉर्डर की तरफ भाग रहे हैं ताकि किसी दूसरे देश में शरण ले सकें और तालिबान के चंगुल से बाहर निकल पाएं।
31 अगस्त को अमेरिकी सेना के अफगानिस्तान छोड़ने के बाद अमेरिका के राष्ट्रपित जो बाइडन ने अपने संबोधन में कहा था कि जो अमेरिकी नागरिक वहां से बाहर निकलना चाहते हैं, उन्हें बाहर निकाला जाएगा, लेकिन अब इसका कोई रास्ता नहीं दिख रहा है। साथ ही तालिबान ने भी कहा था कि जो नागरिक देश छोड़कर बाहर जाना चाहेंगे उन्हें परेशान नहीं किया जाएगा, लेकिन अब तालिबान ने काबुल एयरपोर्ट बंद कर दिया है। इसके साथ ही सभी के बाहर निकलने की उम्मीदें भी समाप्त हो चुकी हैं।
बॉर्डर की तरफ भाग रहे लोग
काबुल एयरपोर्ट के बंद होने के बाद लोग बॉर्डर पार करके दूसरे देशों में जाना चाह रहे हैं। इसलिए बॉर्डर के किनारे की तरफ बड़ी संख्या में लोग पलायन कर रहे हैं। अफगानिस्तान के बैंकों में भी भीड़ लगी हुई है। लोग अपना ही पैसा नहीं निकाल पा रहे हैं। यहां तालिबान का शासन आने के बाद आर्थिक संकट बहुत ज्यादा बढ़ गया है। अफगानिस्तान की सीमा ईरान, पाकिस्तान और सेंट्रल एशियाई देशों से लगती है। पाकिस्तान से लगने वाली मुख्य बॉर्डर क्रॉसिंग तोरखम पर तैनात एक पाकिस्तानी अधिकारी ने बताया कि ‘बड़ी संख्या में अफगान लोग तोरखम गेट के खुलने का इंतजार कर रहे हैं।’
आशा की किरण था काबुल एयरपोर्ट
काबुल एयरपोर्ट के जरिए ही अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने 123,000 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला है। इसी रास्ते से विदेशी संगठन मानवीय मदद पहुंचा सकते थे, लेकिन अब इसे बंद कर दिया गया है। इसके साथ ही अफगान नागिरिकों की पूरी उम्मीद भी खत्म हो चुकी है। लेकिन अब भी हजारों लोग यहां फंसे हुए हैं। बीते हफ्ते यूनाइटेड नेशन हाई कमीशन फॉर रिफ्यूजी ने कहा था कि अगर हालात नहीं सुधरे तो पांच लाख और लोग अफगानिस्तान छोड़ सकते हैं। यूरोपीय संघ ने सीरिया जैसा शरणार्थी संकट खड़ा होने की आशंका जताई है। यूरोप अफगान शरणार्थियों को अफगानिस्तान से लगे देशों में रोकना चाहता है और उन्हें आर्थिक मदद करना चाहता है। यूरोप नहीं चाहता कि ये लोग यूरोप आएं।
सीमा पर लोगों की भीड़
बड़ी संख्या में अफगान नागरिक अफगानिस्तान और ईरान के बीच स्थित इस्लाम कला सीमा चौकी पर एकत्रित हुए हैं। ईरान में प्रवेश करने वाले आठ लोगों के समूह में शामिल एक अफगान व्यक्ति ने कहा, ‘मुझे ऐसा लगता है कि ईरान में प्रवेश करने और ईरानी सुरक्षा बलों के बीच होने से अफगानों को राहत मिल रही है।’ तालिबान के आने के बाद हजारों अफगान नागरिक पाकिस्तान भी पहुंचे हैं।