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दिल की बीमारी जमानत का आधार नहीं- हाईकोर्ट ने कहा

high court news:digi desk/BHN/जबलपुर मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी के जरिये महज दिल की बीमारी के आधार पर जमानत दिये जाने से इन्कार कर दिया। कोर्ट ने आवेदक की आयु अधिक होने की दलील भी दरकिनार कर दी। न्यायमूर्ति विजय कुमार शुक्ला की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान राज्य की ओर से पैनल लॉयर ने अर्जी का विरोध किया।

उन्होंने दलील दी कि आवेदक पर हत्या का आरोप है। हत्या के दो चश्मदीद भी हैं। जेल भेजने से पहले दिल की बीमारी का चिकित्सकीय परीक्षण किया गया था। जब स्वास्थ्य स्थिर पाया गया, तभी जेल भेजा गया। जेल में भी चिकित्सक नजर रखे हुए हैं। ऐसे में जमानत देना उचित नहीं। ऐसा होने पर चश्मदीदों को प्रभावित किए जाने की आशंका बनी रहेगी। लिहाजा, उम्र अधिक और दिल की बीमारी के आधार पर जमानत की इल्तिजा बेमानी है। कोर्ट ने तर्क से सहमत होकर अर्जी खारिज कर दी।

एक अन्य मामले में हाई कोर्ट से पत्नी की हत्या के आरोपित को जमानत का लाभ दे दिया। मध्यप्रदेश हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति संजय द्विवेदी की कोरोना आपदाकालीन एकलपीठ ने पत्नी की हत्या के आरोपित पति की जमानत अर्जी मंजूर कर ली। आवेदक की ओर से वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिए वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष दत्त व अधिवक्ता पवन गुर्जर ने पक्ष रखा। जबकि राज्य की ओर से शासकीय अधिवक्ता राजेश्वर राव ने अर्जी का विरोध किया। आवेदक की ओर से दलील दी गई कि जिसकी पत्नी की हत्या हुई, उसे ही आरोपित बना लिया गया। जबकि वस्तुस्थिति यह है कि इस मामले में उसका सीधा कोई सरोकार नहीं था। उसे महज संदेह के आधार पर घेरे में लिया गया। आवेदक के दो बच्चे हैं, कोरोना आपदाकाल में बिना मां के बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारी आवेदक की है। लिहाजा, उसे जमानत का लाभ अपेक्षित है। कोर्ट ने अर्जी मंजूर कर ली।

 

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