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ब्रेन डेड हो चुके व्यक्ति का परिजनों ने किया अंगदान, ऑर्गन ट्रांसप्लांट ने बचाई 2 लोगों की जान

धौलपुर/जयपुर.

अंगदान से बड़ा कोई दान नहीं होता। सड़क हादसे में घायल धौलपुर के अजीत पाल का जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में उपचार चल रहा था। स्वास्थ्य में सुधार नहीं होने पर अस्पताल के चिकित्सकों ने हाथ खड़े कर दिए। ब्रेन डेड होने के कारण उसके बचने की कोई संभावना नहीं थी। ऐसे में चिकित्सकों ने उसके परिजनों को अजीत के अंगदान के लिए प्रेरित किया। परिजनों के सहमत होने पर अजीत की एक किडनी SMS में ही एक मरीज को लगाई गई।

दूसरी किडनी और लीवर जयपुर में ही संतोकबा दुर्लभजी मेमोरियल हॉस्पिटल में भर्ती एक मरीज को लगाई गई। दिल का रिसीवर राजस्थान में नहीं होने के कारण वो डोनेट नहीं किया जा सका। SMS हॉस्पिटल के नोडल ऑफिसर, ऑर्गन ट्रांसप्लांट डॉ. देवेंद्र पुरोहित ने बताया अजीत पाल का 24 दिसंबर को एक्सीडेंट हो गया था। दुर्घटना में गंभीर घायल हो जाने पर उसे SMS हॉस्पिटल जयपुर रैफर किया गया था। जहां डॉक्टरों ने उसे ब्रेन डैड घोषित कर दिया। डॉ. पुरोहित ने बताया कि डॉक्टरों और ट्रांसप्लांट कोर्डिनेटर्स की समझाइश के बाद अजीत पाल के परिजनों ने अंगदान की सहमति दे दी। स्टेट ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट आर्गेनाइजेशन राजस्थान की ओर से अंगों का आवंटन किया गया। इसमें अजीत पाल की एक किडनी SMS हॉस्पिटल में भर्ती एक मरीज को दान की गई, जबकि दूसरी किडनी और लीवर संतोकबा दुर्लभजी में भर्ती एक ही मरीज को दान करके लगाई गई।

उन्होंने बताया कि ये दूसरा केस है, जब एक ही मरीज को मल्टी ऑर्गन ट्रांसप्लांट किया गया है। इससे पहले सीतापुरा स्थित महात्मा गांधी में एक मरीज को एक साथ दो अंग प्रत्यारोपित किए गए थे। उन्होंने बताया कि दिल को भी डोनेट करना था, लेकिन प्रदेश में कोई इस ग्रुप का रिसीवर नहीं मिला।

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