नागदा
वेस्ट टू एनर्जी प्रोजेक्ट के अंतर्गत नागदा नगर पालिका उज्जैन नगर निगम के सहयोग से अनुपयोगी कचरे से बिजली बनाने जा रही है। इस प्रोजेक्ट में नगरपालिका द्वारा लगभग 2 करोड़ 79 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे। इसमें कुछ राशि केंद्र सरकार तो कुछ राज्य सरकार उपलब्ध कराएगी।
नपा में सांसद प्रतिनिधि ओपी गेहलोत के अनुसार शहर से निकलने वाले कचरे से बिजली बनाने का यह प्रोजेक्ट काफी कारगर सिद्ध होगा, जिसमें नगर निगम उज्जैन भी हमारी सहयोगी होगी। कचरे से बनने वाली बिजली का उपयोग उज्जैन जिले में होगा।
2.79 करोड़ रुपये होंगे खर्च
ग्राम बिरियाखेड़ी में स्थित नपा के ट्रेचिंग ग्राउंड पर मशीनें लगाकर यहां आरडीएफ जनरेट किया जाएगा। इसके लिए 2 करोड़ 79 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे। इसमें लगभग 92 लाख रुपये केंद्र सरकार, 92 लाख रुपये राज्य सरकार व लगभग 95 लाख रुपये नगर पालिका अपने मद से खर्च करेगी। इससे मशीनें खरीदी जाएगी। मशीनों की मदद से आरडीएफ जनरेट किया जाएगा।
गेहलोत के अनुसार प्रतिदिन 61 टन कचरा निकलता है, वहीं 21 टन सूखा और 15.5 सूखा कचरा अनुपयोगी होता है। ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 के दिशा-निर्देशों के अनुसार राज्य के नगरीय निकायों में ठोस अपशिष्ट का प्रसंस्करण करना जरूरी है।
स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) के अनुसार मध्य प्रदेश के 10 लाख से अधिक जनसंख्या वाले शहर एकल या क्लस्टर आधारित जहां पर अधिक मात्रा में कचरा उपलब्ध है, उन्हें शामिल किया गया है। इसके मुताबिक नगर निगम इंदौर, उज्जैन, देवास व नगर पालिका नागदा को उज्जैन क्लस्टर के अंतर्गत सूखे कचरे के प्रसंस्करण से निकलने वाले आरडीएफ (अनुपयोगी कचरा) के लिए उज्जैन नगरीय निकाय में वेस्ट एनर्जी प्लांट स्थापित किया जाना है।
उज्जैन नगर निगम को भेजा जाएगा आरडीएफ
नगर में निकलने वाले गीले व सूखे कचरे में से गीले कचरे से खाद बनाई जाती है, जबकि सूखे कचरे को सेग्रिकेट किया जाता है। इसमें कांच, लकड़ी, लोहा रिसाइकल के लिए उपयोग किया जाता है। बाकी जो अनुपयोगी कचरा होता है उसे आरडीएफ कहा जाता है। इसे एकत्रित करके नगर निगम उज्जैन को भेजा जाएगा।