लखनऊ
22 जनवरी 2024 को 500 वर्षों के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कर कमलों से मर्यादा पुरुषोत्तम अपने दिव्य-भव्य मंदिर में विराजमान होंगे। इस मद्देनज़र मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में 'नव्य अयोध्या' का निर्माण हो रहा है। सीएम का प्रयास है कि यहां पूरी दुनिया को पारंपरिक, सांस्कृतिक धरोहर से लेकर आधुनिकता की झलक देखने को मिले। इसके लिए योगी सरकार ने देश ही नहीं, बल्कि विदेश के कलाकारों को भी आमंत्रित किया है, जो अपनी मूर्तिकला और चित्रकला से मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम के जीवन को उकेरेंगे। साथ ही लोगों के दिलों और दिमाग पर भव्य उद्धाटन समारोह की अमिट छाप छोड़ेंगे।
देश-विदेश से दिग्गज मूर्ति और शिल्प कलाकारों को किया गया आमंत्रित
योगी सरकार प्रभु श्रीराम के मंदिर उद्धाटन समारोह को जल, नभ और थल से भव्य रूप देने के लिए कई महत्वपूर्ण आयोजन करेगी। मुख्यमंत्री ने बीते दिनों उच्च स्तरीय बैठक में अधिकारियों को मूर्तिकला के जरिये प्रभु श्रीराम के जीवन के विभिन्न प्रसंगों का उल्लेख करने के निर्देश दिए थे, क्योंकि हमारी मूर्तिकला पूरे विश्व में सबसे पुरानी कला है। यह कला लोगों को युगों-युगों तक इतिहास से जोड़ती आई है। ऐसे में मंदिर के उद्धाटन समारोह में आने वाली पीढ़ियों को युगों-युगों तक यादगार बनाने और कलाओं के संरक्षण- संवर्धन के लिए मूर्ति-शिल्प कला की कार्यशाला के आयोजन के निर्देश दिए थे। यही वजह है कि अयोध्या में मंदिर उद्धाटन के भव्य समारोह को इतिहास के काल खंडों में समृद्ध साक्ष्य के रूप में संजोने के लिए मूर्तिकला की कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। इसके लिए देश और विदेश के दिग्गज मूर्ति और शिल्प कलाकारों को आमंत्रित किया गया है। यह कलाकार रामायण परंपरा और प्रभु श्रीराम के जीवन पर आधारित विभिन्न प्रसंगों से जुड़ी हुई मूर्तियों का निर्माण करेंगे। वहीं इन मूर्तियों के जरिये प्रभु श्रीराम के संदेश को जन-जन तक पहुंचाने के लिए प्रदर्शनी का आयोजन किया जाएगा।
वहीं योगी सरकार अयोध्या के विभिन्न घाटों एवं स्थलों पर रामायण से जुड़ी कलाकृतियों की स्थापना के लिए दो करोड़ की धनराशि खर्च करेगी। इन कलाकृतियों के निर्माण की जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश राज्य ललित कला अकादमी, लखनऊ को सौंपी गई है। राज्य ललित कला अकादमी की ओर से अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर के कलाकारों के जरिये कलाकृतियों का निर्माण किया जाएगा। साथ ही इन कलाकृतियों की आधुनिक रूप से साज सज्जा भी की जाएगी।