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शाह को इतिहास नहीं पता, उनसे उम्मीद भी नहीं कर सकता, नेहरू को निशाना बनाने पर बरसे राहुल गांधी

नई दिल्ली
अमित शाह द्वारा कश्मीर पर गलतियों के लिए देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को दोषी ठहराए जाने के एक दिन बाद, कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि गृह मंत्री को “इतिहास को फिर से लिखने की आदत है।” दरअसल गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को राज्यसभा में जम्मू कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक और जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए आरोप लगाया था कि जम्मू-कश्मीर को प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की ‘गलतियों’ के कारण नुकसान उठाना पड़ा। इस क्रम में शाह ने ‘असामयिक’ संघर्षविराम और कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में ले जाने जैसे फैसलों को गिनाया। कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी दलों के सदस्यों ने गृह मंत्री के जवाब के दौरान सदन से बहिर्गमन किया।

राहुल गांधी ने शाह के बयान के बारे में पूछे जाने पर संसद परिसर में संवाददाताओं से कहा, ‘‘पंडित नेहरू ने हिंदुस्तान के लिए अपना जीवन दे दिया। वह वर्षों जेल में रहे। अमित शाह जी को शायद इतिहास मालूम नहीं है। मैं उम्मीद भी नहीं करता कि उन्हें इतिहास मालूम होगा क्योंकि वह इतिहास का पुनर्लेखन करते रहते हैं।’’ उन्होंने दावा किया, ‘‘सिर्फ ध्यान भटकाने के लिए यह सब किया जा रहा है। जाति जनगणना और भागीदारी तथा धन किसके हाथ में जा रहा है, यही बुनियादी और मुख्य मुद्दा है। ये लोग इन मुद्दों पर चर्चा नहीं करना चाहते हैं, इनसे भागते हैं।’’

इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के कार्यकाल के दौरान हुए दो ‘बड़े ब्लंडर’ (गलतियों) का खामियाजा जम्मू-कश्मीर को वर्षों तक भुगतना पड़ा। जम्मू कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 और जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 पर सदन में हुई चर्चा का जवाब देते हुए उनका कहना था कि नेहरू की ये दो गलतियां 1947 में आजादी के कुछ समय बाद पाकिस्तान के साथ युद्ध के समय संघर्ष विराम करना और जम्मू-कश्मीर के मामले को संयुक्त राष्ट्र ले जाने की थी।

अमित शाह ने कहा कि “अगर (पाकिस्तान के साथ युद्ध के दौरान) असामयिक युद्धविराम नहीं होता, तो पीओके (पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर) नहीं होता। हमारा देश जीत रहा था, अगर उन्होंने (नेहरू) दो दिन इंतजार किया होता, तो पूरा कश्मीर हमारा होता।” उन्होंने कहा, “लोग कहते हैं कि यदि नेहरू न होते तो कश्मीर न होता। जो लोग इतिहास जानते हैं, मैं उनसे पूछना चाहता हूं, हैदराबाद के सामने बड़ी समस्या थी, क्या नेहरू वहां गए थे? क्या नेहरू लक्षद्वीप, जूनागढ़ या जोधपुर गए थे? वह केवल कश्मीर जाते थे और वहां भी उन्होंने काम अधूरा छोड़ दिया।”

 

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