Friday , October 18 2024
Breaking News

‘आतंकवाद से निपटा जाता तो कश्मीरी पंडितों को घाटी नहीं छोड़नी पड़ती’, लोकसभा में बोले अमित शाह

नई दिल्ली  
संसद के शीतकालीन सत्र का आज तीसरा दिन है। गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा में कहा कि मैं जो विधेयक (जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन अधिनियम 2023 और जम्मू कश्मीर पुनर्गठन संशोधन विधेयक 2023) लेकर आया हूं। शाह ने कहा कि सरकार द्वारा लाए गए जम्मू-कश्मीर से संबंधित दो विधेयक पिछले 70 वर्षों से अपने अधिकारों से वंचित लोगों को न्याय देंगे और कहा कि विस्थापित लोगों को आरक्षण दिया जाएगा।

विधानसभा सीट आरक्षित रखने का प्रस्ताव
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि जम्मू कश्मीर के जिन दो विधेयकों पर यहां विचार हो रहा है, उनमें से एक में एक महिला समेत कश्मीरी विस्थापित समुदाय के दो सदस्यों को विधानसभा में मनोनीत करने का प्रस्ताव है। इसके अलावा एक सीट पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से विस्थापित लोगों के लिए आरक्षित की जाएगी।

तो कश्मीरी पंडितों को घाटी नहीं छोड़ना पड़ती
जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक पर बहस का जवाब देते हुए, शाह ने कहा कि अगर वोट-बैंक की राजनीति पर विचार किए बिना शुरू में ही आतंकवाद से निपटा गया होता, तो कश्मीरी पंडितों को कश्मीर घाटी नहीं छोड़ना पड़ता। उन्होंने कहा कि एक विधेयक में उन लोगों को विधानसभा में प्रतिनिधित्व देने का प्रावधान है जिन्हें आतंकवाद के कारण कश्मीर छोड़ना पड़ा। उन्होंने कहा कि इन विधेयकों का उद्देश्य पिछले 70 वर्षों से वंचित लोगों को न्याय प्रदान करना है।

पीएम मोदी जानते हैं पिछड़ों का दर्द
अमित शाह ने पिछड़े वर्गों की बात करने के लिए कांग्रेस पर भी निशाना साधा और कहा कि अगर किसी पार्टी ने पिछड़े वर्गों का विरोध किया है और उनके विकास में बाधा बनी है, तो वह कांग्रेस है। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी एक गरीब परिवार में पैदा हुए और प्रधानमंत्री बने और वह पिछड़े वर्ग और गरीबों का दर्द जानते हैं।

अनुच्छेद 370 हटने के बाद एक कंकड नहीं चला
अमित शाह ने कहा, 'कुछ लोग कहते थे कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद खून की नदियां बहेंगी, वहां एक कंकड़ भी नहीं चले।" उन्होंने कहा कि 1980 के दशक के बाद आतंकवाद का दौर आया और वह भयावह था, जो लोग इस भूमि को अपना देश समझकर रहते थे, उन्हें बाहर निकाल दिया गया और किसी को उनकी परवाह नहीं थी। इसे रोकने के लिए जिम्मेदार लोग इंग्लैंड में छुट्टियों का आनंद ले रहे थे। " वर्तमान आंकड़ों के अनुसार लगभग 46,631 परिवार और 1,57,968 लोग अपने ही देश में विस्थापित हो गए। यह विधेयक उन्हें अधिकार दिलाने के लिए है, यह विधेयक उन्हें प्रतिनिधित्व देने के लिए है।

About rishi pandit

Check Also

चर्चा जोरो पर क्या देश के कई राज्यों में चल रही मुफ्त की सरकारी योजनाएं बंद हो जाएंगी, SC में एक और याचिका दाखिल

नई दिल्ली  चाहे बस यात्रा हो या फिर राशन की व्यवस्था। हर राज्य में होने …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *