Madhya pradesh indore mppsc exam congress leaders in support of the candidates commission said examinations will be held on time: digi desk/BHN/इंदौर/ दिसंबर में मप्र लोकेसेवा आयोग द्वारा एक के बाद एक तीन परीक्षाएं लिए जाने का विरोध कर रहे अभ्यर्थियों को कांग्रेस नेताओं का साथ मिल गया है। अभ्यर्थियों ने परीक्षाओं की तारीख आगे बढ़ाकर इनमें अंतराल देने की मांग रखी है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, पूर्व मंत्री उमंग सिंघार, डिप्टी कलेक्टर से कांग्रेस नेता बनी निशा बांगरे ने भी मांग का समर्थन करते हुए ट्वीट (एक्स) किए हैं। इंदौर तीन से कांग्रेस प्रत्याशी दीपक पिंटू जोशी ने भी पीएससी को पत्र लिखकर तारीखों में परिवर्तन की मांग की है। हालांकि, पीएससी अपने रुख पर अडिग है और स्पष्ट कर दिया है कि परीक्षा कार्यक्रम में बदलाव संभव नहीं है।
विधानसभा चुनाव में मतदान संपन्न होने के बाद से कई अभ्यर्थी पीएससी द्वारा घोषित परीक्षा कार्यक्रम में बदलाव की मांग कर रहे हैं। दरअसल, 10 दिसंबर को राज्य वनसेवा-2022 मुख्य परीक्षा होनी है। 17 दिसंबर को राज्यसेवा प्रारंभिक परीक्षा-2023 होनी है। वहीं, 26 दिसंबर को राज्यसेवा मुख्य परीक्षा-2022 शुरू होगी। इन तीनों अहम परीक्षाओं के एक के बाद एक होने के साथ ही पीएससी ने 16 दिसंबर को सहायक कुलसचिव के इंटरव्यू भी रखे हैं। अभ्यर्थियों की मांग के समर्थन में सोमवार-मंगलवार को कांग्रेस के कई नेताओं ने कहा कि पीएससी को परीक्षाओं में अंतराल देना चाहिए। कार्यक्रम को आगे बढ़ाना चाहिए। हालांकि भाजपा का कोई भी नेता अभ्यर्थियों की मांग का समर्थन करता नजर नहीं आया।
दो दिन पहले अभ्यर्थियों ने पीएससी मुख्यालय पर ज्ञापन भी सौंपा था। इसके बाद उम्मीद थी कि आयोग परीक्षा की तारीखों में बदलाव पर विचार कर सकता है। हालांकि, मप्र लोकसेवा आयोग ने साफ कर दिया है कि परीक्षा की तारीखों में बदलाव संभव नहीं है। दरअसल, परीक्षाओं की तैयारी पूरी हो चुकी है। प्रश्नपत्र भी बनकर तैयार हैं।
चुनाव के कारण पहले ही आगे बढ़ा दी परीक्षा
असल में राज्यसेवा मुख्य परीक्षा-2022 तो अक्टूबर में होने वाली थी, लेकिन चुनाव कार्यक्रम घोषित होने से परीक्षा आगे बढ़ाकर दिसंबर में करनी पड़ी थी। आयोग अब परीक्षा आगे नहीं बढ़ा सकता क्योंकि तैयार प्रश्न पत्र की सुरक्षा और गोपनीयता बनाए रखना भी बड़ा विषय है। कहीं कोई पेपर लीक हुआ तो परेशानी खड़ी हो सकती है। ऐसे में पीएससी अब किसी भी स्थिति में परीक्षा को आगे बढ़ाने के पक्ष में नहीं है।