- – गोपाल मंदिर में हुए दो देवों के मिलन को देखने उमड़े हजारों भक्त
- – हर कोई इस पल का साक्षी बनने के लिए आतुर था
- – भक्त हरिहर के जयकारे लगाते हुए जमकर आतिशबाजी कर रहे थे
Vrat tyohar har came to meet hari in ujjain handed over the responsibility of creation thousands of devotees gathered: digi desk/BHN/उज्जैन/ कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी उपरांत चतुर्दशी के संधि काल में शनिवार रात 12:45 बजे गोपाल मंदिर में हरिहर मिलन हुआ। हर भगवान महाकाल ने हरि श्री द्वारकाधीश गोपाल जी को सृष्टि का भार सौंपा। भगवान महाकाल की ओर से गोपाल जी को बिल्वपत्र की माला अर्पित की गई। वहीं, गोपाल जी की ओर से भगवान महाकाल को तुलसी की माला पहनाई गई। दो देवों के मिलन का अद्भुत दृश्य देखने के लिए गोपाल मंदिर के बाहर हजारों भक्त मौजूद थे। भक्तों ने प्रतिबंध के बावजूद जमकर आतिशबाजी भी की।
ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर से हरिहर मिलन के लिए शनिवार रात 11 बजे शाही ठाठबाट के साथ भगवान महाकाल की सवारी निकली। अवंतिकानाथ चांदी की पालकी में सवार होकर गोपाल जी से मिलने सिंधिया देवस्थान ट्रस्ट के प्रसिद्ध गोपाल मंदिर पहुंचे। हरिहर मिलन की खुशी में करीब डेढ़ किलोमीटर लंबे सवारी मार्ग में भक्ति का अद्भुत उल्लास छाया हुआ था। भक्त हरिहर के जयकारे लगाते हुए जमकर आतिशबाजी कर रहे थे।
हर कोई इस पल का साक्षी बनने के लिए आतुर था। बड़ी संख्या में महिलाएं भी राजाधिराज के दर्शन करने पहुंची। पुलिस बैंड की मंगलमय धुन के साथ भगवान की सवारी रात करीब 12 बजे गोपाल मंदिर पहुंची। मंदिर के सभामंडप में गोपाल जी के सम्मुख भगवान महाकाल को विराजित कर दोनों मंदिरों के पुजारी ने परंपरा अनुसार पूजा अर्चना की। महाकाल मंदिर के पुजारी ने भगवान महाकाल की ओर से गोपाल जी को बेलपत्र की माला, वस्त्र, मिष्ठान सूखे मेवे आदि भेंट किए।
गोपाल मंदिर के पुजारी ने भगवान गोपाल जी की ओर से भगवान महाकाल को तुलसी की माला अर्पित की। साथ ही वस्त्र, मिष्ठान, मेवे आदि भेंट करके अतिथि सत्कार की परंपरा निभाई। हरिहर मिलन के उपरांत रात 2 बजे भगवान महाकाल की सवारी पुन: महाकालेश्वर मंदिर की ओर रवाना हुई।
कड़ी सुरक्षा, मार्ग में बेरिकेड लगे
हरिहर मिलन की सवारी में प्रशासन ने पालकी की सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे। महाकाल से गोपाल मंदिर तक सवारी मार्ग पर सख्त बैरिकेडिंग की गई थी।सवारी मार्ग की हर गली में पुलिस बल तैनात किया गया था।
चौकसी के बावजूद हुई आतिशबाजी
हरिहर मिलन की सवारी में प्रतिवर्ष भक्ति जमकर आतिशबाजी करते हैं। इसमें हिंगोट, रॉकेट का भी प्रयोग किया जाता है। इस बार प्रशासन ने हिंगोट व रॉकेट के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया था। बावजूद इसके जमकर आतिशबाजी हुई।
सांदीपनि आश्रम में दोपहर में हुआ हरिहर मिलन
भगवान श्री कृष्ण की शिक्षा स्थली सांदीपनि आश्रम में शनिवार दोपहर 1 बजे हरिहर मिलन कराया गया। पुजारी पंडित रूपम व्यास ने पूजा अर्चना की। हरिहर मिलन की खुशी में भगवान को छप्पन पकवानों का भोग लगाया गया। दोपहर 1 बजे से शाम 5 बजे तक भक्तों को भोग मनोरथ के दर्शन हुए।