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Raipur: हीमोफीलिया से पीड़ित ब्रेन डेड मरीज ने संवारी 5 जिंदगी, दोनों किडनी, दोनों आंखें, स्किन और शरीर का किया दान

  1. फाफाडीह के गुजराती परिवार के 18 वर्षीय युवक की बचपन से ही अंगदान करने की थी इच्छा
  2. स्वजन की सहमति के बाद मरीज के दोनों किडनी, दोनों आंखें, स्किन और शरीर को दान कर दिया गया
  3. अंगों को सुरक्षित ले जाने के लिए विशेष व्यवस्था की गई

Chhattisgarh raipur brain dead patient suffering from hemophilia saved five lives donated both kidneys both eyes skin and body of the deceased: digi desk/BHN/रायपुर/ हीमोफीलिया नामक बीमारी से ग्रसित 18 वर्ष के युवक के ब्रेन डेड होने के बाद स्वजन ने उसके अंग और देह दान किए। मृतक की दोनों किडनी, दोनों आंखें, स्किन और शरीर का दान किया गया है। इन अंगों से पांच लोगों का जीवन संवरा है।

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के निवासी गुजराती परिवार का 18 वर्षीय युवक बचपन से ही हीमोफीलिया बीमारी से पीड़ित था। सिर में तेज दर्द होने की शिकायत पर 10 नवंबर को एम्स के मेडिसिन विभाग में भर्ती कराया गया था। डाक्टरों ने जांच में पाया कि युवक के मष्तिष्क में आंतरिक रक्तस्राव (इंट्रा-सेलेब्रल हेमरेज) है, जिसे रोका नहीं जा सकता है।

एम्स के विभिन्न विभागों के डा. सबाह सिद्दीकी, डा. अनिल शर्मा, डा. सरोज बाला, डा. रोहिणी रुक्कम, डा. शुक्रिया और डा. दिबाकर साहू के प्रयास के बाद भी अत्यधिक रक्तस्राव के कारण मरीज ब्रेन डेड हो गया। 13 नवंबर को डाक्टरों की कमेटी ने युवक के ब्रेन डेड की पुष्टि की।

मरीज की बहन ने डाक्टरों को बताया कि जन्म से ही हीमोफीलिया होने की वजह से भाई की बचपन से इच्छा थी की यदि उससे कुछ हो जाए तो उसके अंग व शरीर को दान कर दिया जाए। स्वजन की सहमति के बाद मरीज के दोनों किडनी, दोनों आंखें, स्किन और शरीर को दान कर दिया गया। अंगों को सुरक्षित ले जाने के लिए विशेष व्यवस्था की गई, जिसमें विभिन्न अस्पतालों से डाक्टरों की टीम ने सहयोग किया।

मरीजों को दिए गए अंग

एम्स के नेफ्रोलाजी विभाग के विभागाध्यक्ष डा. विनय राठोर ने बताया कि एक किडनी रामकृष्ण केयर हास्पिटल, एक किडनी एम्स व स्किन डीकेएस हास्पिटल में इलाज करा रहे मरीजों को दान की गई। साथ ही आंखों को एम्स के आइ बैंक और शरीर को भी एनाटोमी लैब में दान की गई। उन्होंने बताया कि यूरोलाजी विभाग, नेफ्रोलाजी विभाग, एनेस्थिसियोलाजी विभाग, जनरल मेडिसिन विभाग, न्यूरो सर्जरी, एफएमटी, ब्लड बैंक एवं ट्रामा एंड इमरजेंसी विभाग के सहयोग से पूरे कार्य को पूर्ण किया गया। ट्रांसप्लांट कर रहे डाक्टरों की टीम में डा. अमित शर्मा, डा. दीपक बिस्वाल, डा. सत्यदेव, डा. कृष्णदत्त चावली, डा. रोहित बाड़गे, डा. चंदन, डा. विजया साहू, डा. रघुवेंद्र, डा. प्रदयुमन, डा. ज्योति, डा. नमन, डा. भरत, डा. प्रशांत, ट्रांसप्लांट कोआर्डिनेटर विशोक एन, अंबे पटेल, विनीता पटेल एवं रीना कोरियाकोसे शामिल थीं।

डाक्टर और कर्मचारियों ने दी सलामी

अंगदान की पूरी प्रक्रिया के अंतिम में मरीज के शरीर के प्रति सम्मान प्रकट करते हुए एम्स के अधिष्ठाता डा. आलोकचन्द्र अग्रवाल एवं समस्त डाक्टरों और कर्मचारियों ने सलामी दी। डाक्टरों ने कहा कि अंगदान को लेकर अभी भी कुछ लोगों में भ्रांतियां हैं। इससे अंगदान के प्रति जागरूकता आएगी।

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