- नीट यूजी काउंसलिंग में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण न देने को चुनौती
- मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल
- कोर्ट ने सचिव व संचालक चिकित्सा शिक्षा व अन्य से मांगा जवाब
Madhya pradesh jabalpur mp high court students challenge not to give reservation to obcs in neet ug counselling: digi desk/BHN/जबलपुर/ मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका के जरिये नीट यूजी (एमबीबीएस) की काउंसलिंग में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को 27 प्रतिशत आरक्षण न दिए जाने को चुनौती दी गई है। मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने प्रारंभिक सुनवाई के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव, नेशनल मेडिकल कमीशन के सचिव, चिकित्सा शिक्षा विभाग के सचिव, डीएमई, मप्र निजी विश्वविद्यालय नियामक आयोग के सचिव, प्रवेश फीस निर्धारण समिति के सचिव और मप्र पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष व सचिव को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
ओबीसी एडवोकेट्स वेलफेयर एसोसिएशन, जबलपुर व ओबीसी छात्रों ने याचिका दायर कर कहा कि नीट यूजी प्रवेश में होरिजेंटल व वर्टिकल आरक्षण को नियम अनुसार लागू नहीं किया गया है। याचिका में आरोप लगाया गया कि नीट यूजी काउंसलिंग में राज्य शासन ने व्यापक पैमाने पर धांधली की है, जिस कारण कई ओबीसी उम्मीदवारों को हक मारा गया।
नीट यूजी में प्रवेश के लिए होरिजेंटल आरक्षण
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर व विनायक प्रसाद शाह ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि मप्र आरक्षण अधिनियम 1994 में विधानसभा द्वारा 14 जुलाई, 2023 को संशोधन करके ओबीसी की 51 प्रतिशत आबादी को दृष्टिगत रखते हुए 27 प्रतिशत आरक्षण लागू किया गया है। मप्र शासन द्वारा 10 मई, 2023 को शासकीय स्कूल में कक्षा छह से 12 तक अध्ययन करने वाले छात्रों को पांच प्रतिशत नीट यूजी में प्रवेश के लिए होरिजेंटल आरक्षण लागू किया गया।
अवैधानिक रूप से सीट आवंटित
याचिका में कहा गया है कि काउंसलिंग के दौरान पहले अनारक्षित सीटों के स्थान पर आरक्षित सीटों को भरा गया। इस कारण आरक्षित वर्ग मे समस्त प्रतिभावान अभ्यर्थियों का उनके ही वर्ग में चयन करने से ओबीसी के कट आफ अंक 463 तथा अनारक्षित वर्ग का कट आफ अंक 397 अंक निर्धारित कर दिया गया। इससे गवर्नमेंट स्कूल आरक्षण की सीटों को अवैधानिक रूप से प्राइवेट मेडिकल कालेजों को आवंटित कर दी गई।
27 प्रतिशत आरक्षण को उचित मान्य
याचिका में बताया गया कि प्रदेश के 27 मेडिकल संस्थाओं मे एमबीबीएस पाठ्यक्रम ओबीसी को 14 आरक्षण दिया गया है। दलील दी गई कि भारत सरकार द्वारा 29 जुलाई, 2021 को मेडिकल में ओबीसी को 27 व ईडब्ल्यूएस को 10 प्रतिशत आरक्षण लागू किया गया है। इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 7 जनवरी 2022 को अंतरिम आदेश पारित करके ओबीसी के 27 प्रतिशत आरक्षण को उचित मान्य किया है।