- उज्जैन में विजय दशमी पर 8 किलोमीटर लंबा सवारी मार्ग
- नए शहर फ्रीगंज पधारे अवंतिकानाथ सवारी में यह खास
- 5 घंटे छाया भक्ति का उल्लास -20 हजार से अधिक भक्तों ने किए दर्शन
Madhya pradesh ujjain mahakal shami puja being king of ujjain mahakal worships shami tree on dussehra: dig desk/BHN/उज्जैन/ पौराणिक मान्यता व राजवंश की परंपरा में विजय दशमी पर सर्वत्रविजय की कामना से नगर सीमान्लंघन कर शमी वृक्ष का पूजन करते थे। भगवान महाकाल उज्जैन के राजा हैं इसलिए दशहरे पर वे भी शमी वृक्ष का पूजन करने नए शहर फ्रीगंज स्थित दशहरा मैदान जाते हैं। सवारी को सीमान्लंघन सवारी कहा जाता है। महाकाल मंदिर में यह परंपरा इस बार आज मनाई जा रही है।
महाकाल मंदिर से विजय दशमी (पंचांगीय मतांतर से) पर सोमवार को भगवान महाकाल की सवारी निकाली गई। अवंतिकानाथ महाकाल चांदी की पालकी में सवार होकर शमी पूजन करने नए शहर दशहरा मैदान पधारे। यहां कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने भगवान महाकाल व शमी वृक्ष का पूजन किया।
महाकाल मंदिर से शाम चार बजे शाही ठाठबाट के साथ भगवान की पालकी नए शहर फ्रीगंज के लिए रवाना हुई। करीब आठ किलोमीटर लंबे सवारी मार्ग पर 70 से अधिक मंचों से पुष्प वर्षा कर राजाधिराज का स्वागत किया गया। 20 हजार से अधिक भक्तों ने भगवान के दर्शन किए। उल्लेखनीय है कि यह परंपरा हर वर्ष दशहरे पर निभाई जाती है।
ग्वालियर पंचांग के अनुसार विजय दशमी पर उज्जैन में सोमवार को महाकालेश्वर मंदिर से शाम 4 बजे भगवान महाकाल की सवारी निकली। मंदिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र बल की टुकड़ी ने अवंतिकानाथ को सलामी दी। इसके बाद सवारी कोटमोहल्ला, गुदरी चौराहा,पटनी बाजार, गोपाल मंदिर, सराफा, सतीगेट, नई सड़क, दौलतगंज, मालीपुरा, देवासगेट, चामुण्डा माता चौराहा से टॉवर के रास्ते पुराने कलेक्टर बंगले के सामने से होती हुई दशहरा मैदान पहुंचेगी।
महाकाल के होलकर मुखाविंद के दर्शन
कलेक्टर भगवान महाकाल व शमी वृक्ष की पूजा अर्चना करेंगे। पूजन पश्चात सवारी फ्रीगंज ओवरब्रिज से संख्याराजे धर्मशाला, देवासगेट, मालीपुरा, दौलतगंज, तोपखाना होते हुए पुनः श्री महाकालेश्वर मंदिर पहुंचेगी। महाकाल मंदिर में विजय दशमी पर संध्या आरती में भगवान महाकाल भक्तों को होलकर मुखारविंद में दर्शन देते हैं। संध्या पूजन के बाद भगवान का होलकर रूप में शृंगार किया जाएगा।
शिखर पर नया ध्वज चढ़ाया गया
विजय दशमी पर महाकालेश्वर मंदिर के शिखर पर नया ध्वज चढ़ाने की परंपरा है। आज सुबह आरती के बाद शिखर पर नया ध्वज चढ़ाया गया। महानिर्वाणी अखाड़े के महंत विनितगिरिजी महाराज ध्वज की पूजा किया।