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MP Chunav 2023: आर्थिक लाभ की योजनाएं ही बन रहीं MP में चुनावी मुद्दा

  • भाजपा सरकार 1.31 करोड़ महिलाओं को 1250 रुपये प्रतिमाह दे रही तो कांग्रेस ने किया 15 सौ रुपये देने का वादा
  • कर्मचारियों को पुरानी पेंशन जैसे लुभावने सपने भी दिखा रही कांग्रेस
  • गारंटी और वादों के सपनों में विकास के मुद्दे गुम हो गए हैं

Elections madhya pradesh mp vidhan sabha chunav 2023 schemes for economic benefits are becoming election issue in madhya pradesh: digi desk/BHN/भोपाल/ मध्य प्रदेश में 17 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव में महंगाई, बेरोजगारी, स्वास्थ्य-शिक्षा, सड़क, बिजली, पानी या विकास के मुद्दों पर कोई बात नहीं हो रही है। हाशिये पर चले गए ये वही मुद्दे हैं जिसके दम पर वर्ष 2003 में कांग्रेस की दिग्विजय सिंह सरकार को उखाड़ फेंकने में भाजपा को सफलता मिली थी।
केवल लोक लुभावन योजनाओं की चर्चा
अब चुनावी चर्चा हो रही है तो केवल लोक लुभावन योजनाएं यानी ‘आर्थिक लाभ’ वाली योजनाओं की। दी जा रही गारंटी में सिर्फ सरकारी योजनाओं में रकम बढ़ाने की प्रतिस्पर्धा है।
लाड़ली बहना के जवाब में नारी सम्‍मान योजना

भाजपा सरकार लाड़ली बहना योजना के अंतर्गत एक करोड़ 31 लाख महिलाओं को 1250 रुपये प्रतिमाह दे रही है तो कांग्रेस इसे बढ़ाकर नारी सम्मान योजना में 15 सौ रुपये देने का वादा कर रही है।

कर्मचारियों को दिखाए जा रहे सपने

कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ, किसानों का दो लाख रुपये का कर्ज माफ और सौ यूनिट बिजली बिल माफ- दो सौ यूनिट हाफ जैसे लुभावने सपने दिखाए जा रहे हैं। यही वजह है कि गारंटी और वादों के सपनों में विकास के मुद्दे गुम हो गए हैं।

इस बार जुदा हैं हालात

2003 में जिन मुद्दों पर कांग्रेस को हराकर भारतीय जनता पार्टी सरकार में आई थी, उससे हालात अब जुदा हैं। चमचमाते राष्ट्रीय राजमार्ग के साथ प्रदेश में इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में अभूतपूर्व काम हुआ है। सिंचाई क्षमता सात से बढ़कर 45 लाख हेक्टेयर हो गई। किसानों को खेती के लिए आठ घंटे तथा घरेलू उपभोक्ताओं को बिजली 24 घंटे मिल रही है। जलजीवन मिशन से पेयजल के संकट में कमी आई है।

लाड़ली लक्ष्मी, लाड़ली बहना, संबल जैसी सामाजिक परिवर्तन की योजनाएं लोगों के जीवनस्तर में बदलाव ला रही हैं। आम लोगों की नजर में भी विकास मुद्दा तो है लेकिन मप्र के विकास से लोग संतुष्ट हैं। हां, महंगाई से जरूर लोग नाराज हैं और वे चाहते हैं कि जिस तरह से गरीब वर्ग को रियायतें दी जा रही हैं, यह मध्यम वर्ग को भी उपलब्ध कराई जाएं।

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