- इसरो के पूर्व प्रमुख ने चंद्र मिशन के संभावित अंत का संकेत दिया
- लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान के सक्रिय होने की उम्मीद खत्म
- चंद्रमा का तापमान 180 डिग्री से नीचे पहुंच जाता है
National hope of lander vikram and rover pragyan waking up is over former isro chairman said they would have become active by now: digi desk/BHN/बेंगलुरु/ भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व अध्यक्ष एएस किरण कुमार ने भारत के तीसरे चंद्र मिशन के संभावित अंत का संकेत दिया है। उन्होंने कहा कि चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान के सक्रिय होने की कोई उम्मीद अब नहीं बची है। किरण कुमार चंद्रयान मिशन से सक्रियता से जुड़े रहे हैं। उन्होंने शुक्रवार को कहा कि अब लैंडर और रोवर के जगने की कोई उम्मीद नहीं है। लैंडर रोवर को सक्रिय होना होता तो अब तक हो गए होते।
चंद्रयान-3 मिशन की उपलब्धि पर किरण कुमार ने कहा कि निश्चित रूप से इससे बहुत लाभ होगा। एक ऐसे क्षेत्र (दक्षिणी ध्रुव) पर पहुंचे हैं, जहां कोई भी दूसरा देश नहीं पहुंच सका है। उस क्षेत्र का डाटा भारत को मिला है। यह हकीकत में बहुत जरूरी जानकारी है। उन्होंने इसरो के चंद्रमा पर सैंपल-वापसी मिशन शुरू करने की संभावना के बारे में बताया, लेकिन इसके लिए कोई समय सीमा नहीं बताई। इससे पहले इसरो ने कहा था कि 22 सितंबर को चंद्रमा पर सूर्योदय होने के साथ ही उसने लैंडर और रोवर के साथ संचार स्थापित करने की कोशिश की। उन्हें स्लीप मोड से जगाने का प्रयास किया, लेकिन सफलता नहीं मिल सकी।
चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर साफ्ट लैंडिग कर रचा इतिहास
भारत ने 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर साफ्ट लैंडिग कर इतिहास रच दिया था। भारत के अलावा अमेरिका, सोवियत संघ (रूस) और चीन ने ही चंद्रमा की सतह पर अपने लैंडर उतारे हैं, लेकिन भारत को छोड़कर कोई भी चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर साफ्ट लैंडिग नहीं कर सका है। चंद्रमा पर रात होने से पहले प्रज्ञान 2 सितंबर और विक्रम 4 सितंबर को स्लीप मोड में चला गया था। एक चंद्र दिवस 14 दिन का होता है। सूर्यास्त होने पर अंधेरा छा जाता है। तापमान शून्य से 180 डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला जाता है, इसलिए लैंडर रोवर को स्लीप मोड में डाल दिया था।