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महिला आरक्षण का लाभ 2034 में ही संभव, केंद्र पर लगाया विधेयक से मतदाताओं को लुभाने का आरोप

Women reservation benefit only possible in 2034 says kapil sibal accuses centre of luring voters with bill 2023: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने रविवार मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि महिला आरक्षण 2034 के लोकसभा चुनाव से प्रभावी हो सकता है। राज्यसभा सदस्य ने अपनी नई ‘दिल से’ पहल में यह टिप्पणी की, जिसके तहत वह महत्वपूर्ण मुद्दों पर एक पत्रकार के साथ पाक्षिक बातचीत कर रहे थे। 

सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए पहले एपिसोड में सिब्बल ने महिला आरक्षण विधेयक, बसपा सांसद दानिश अली के खिलाफ भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी की अपमानजनक टिप्पणी पर विवाद और नए संसद भवन को लेकर बात की। बिधूड़ी की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर सिब्बल ने कहा कि भाजपा सांसद को संसद से निष्कासित कर दिया जाना चाहिए।

सिब्बल ने कांग्रेस के के. सुरेश की ओर इशारा करते हुए कहा, जो पिछले सप्ताह लोकसभा में हुई घटना के समय आसन पर थे, ‘मैंने संसद में अपने 30 साल के लंबे करियर में ऐसा नहीं देखा। इस तरह की गंदी भाषा, इस तरह का जहर कभी नहीं देखा और मैं उस व्यक्ति से भी आश्चर्यचकित और हैरान था, जिसने कहा कि मैं रिकॉर्ड देखूंगा और फिर इसे हटा दूंगा।’  सिब्बल ने बिधूड़ी की टिप्पणी को लेकर विवाद पर कहा कि इस तरह के लोगों को संसद से निष्कासित कर देना चाहिए।

सिब्बल ने कहा, ‘कल्पना कीजिए कि अगर उस (दानिश अली के) समुदाय के किसी सदस्य ने भी ऐसा ही काम किया होता तो क्या होता और पीठासीन अधिकारी ने क्या किया होता।’ मई 2013 से मई 2014 के बीच केंद्रीय कानून मंत्री रहे सिब्बल ने कहा, ‘हमने समाज में इस तरह का जहर पैदा कर दिया है कि एक खास समुदाय के लोग कुछ भी कह सकते हैं और बच सकते हैं।’

महिला आरक्षण विधेयक के बारे में पूछे जाने पर सिब्बल ने कहा कि उन्हें संदेह है कि सरकार इस विधेयक को तुरंत पारित कराना चाहती है। उन्होंने कहा, ‘अगर वे वास्तविक होते तो 2014 में ही ऐसा किया गया होता।’ यह पूछे जाने पर कि विधेयक कब से प्रभाव में आ सकता है, सिब्बल ने कहा, ‘2029 में नहीं। मैं आपको बताता हूं क्यों। पिछला परिसीमन 1976 में किया गया था, तब हमारे पास 84वां संविधान संशोधन था जिसमें कहा गया था कि हम परिसीमन पर रोक लगाएंगे। अब 2026 में, यदि आप जनगणना करना शुरू करते हैं, जैसा कि आप जानते हैं कि यह एक बड़ी कवायद है, हमारे पास 1.4 अरब से अधिक लोग हैं, तो इसमें एक से डेढ़ साल लगेंगे।’

उन्होंने कहा, ‘इतना ही नहीं, अगर आप जाति को शामिल करने जा रहे हैं जो उत्तर भारत के एक बड़े वर्ग की मांग होने जा रही है और मुझे नहीं लगता कि भाजपा उस मांग का विरोध कर पाएगी क्योंकि अगर वे उस मांग का विरोध करते हैं, तो वे चुनाव हारेंगे, इसमें बहुत अधिक समय लगेगा।’

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