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Ganesh Murti Sthapana: सही विधि से घर में स्थापित करें बप्पा की मूर्ति, इन बातों का रखें ध्यान

  1. साफ-सफाई करने के बाद ही बप्पा की स्थापना करें
  2. भगवान गणेश की उनकी मनपसंद चीजें अर्पित करें
  3. विधि-विधान और सच्चे मन से बप्पा की स्थापना करनी चाहिए

Spiritual vrat tyohar ganesh murti sthapana upay in house with this correct method keep these things in mind: digi desk/BHN/भोपाल/ बस कुछ ही घंटों में गणेश चतुर्थी की शुरुआत हो जाएगी। हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को हर घर में भगवान गणेश की स्थापना की जाती है। पूरे 10 दिनों तक बप्पा की विधि-विधान से पूजा की जाती है। हर जगह गणेश उत्सव को लेकर खूब धूम देखने को मिलती है। अनंत चतुर्दशी यानी 28 सितंबर को बप्पा का विसर्जन किया जाएगा। गणेश चतुर्थी के खास अवसर पर शुभ मुहूर्त में बप्पा को घर लाया जाता है और उनकी स्थापना की जाती है। पूरे विधि-विधान और सच्चे मन से बप्पा की स्थापना करनी चाहिए।

मूर्ति स्थापना की सही विधि

गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की स्थापना करने से पहले घर के मंदिर की अच्छी तरह साफ-सफाई कर लें। इसके बाद स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ कपड़े पहने। पूजा के लिए सबसे पहले आसन बिछाएं। पूजा करते समय आपका मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। गणेश जी मूर्ति स्थापित करने के लिए घर का उत्तर भाग शुभ माना जाता है। घर के पूर्वोत्तर भाग में भी बप्पा की मूर्ति स्थापित की जा सकती है।

रिद्धी-सिद्धी की मूर्ति

मूर्ति स्थापना के लिए सबसे पहले आप लकड़ी के पट्टे पर गेहूं, मूंग जा ज्वार पर लाल वस्त्र बिछा दें। अब इस पर मूर्ति स्थापित करें। फिर बप्पा के आगे दीपक जलाएं। प्रतिमा की पूर्व दिशा में कलश रखें। भगवान गणेश के दाएं और बाएं ओर रिद्धी-सिद्धी की प्रतिमा भी स्थापित करें। रिद्धि-सिद्धि के सामने एक-एक सुपारी रख दें। स्थापना के बाद तीन बार आचमन करें और मूर्तियों का पंचामृत से स्नान कराएं।

अर्पित करें ये चीजें

भगवान गणेश की स्थापना के बाद उन्हें वस्त्र, जनेऊ, चंदन, गणेश जी की प्रिय दूर्वा, शमी के पत्ते, फल और पीले फूल अर्पित करें। पूजा के बाद बप्पा की आरती करें और उन्हें भोग लगाएं। भगवान गणेश का ध्यान करें और उनसे अपनी प्रार्थना कहें।

इस मंत्र का करें जाप

मूर्ति स्थापना के बाद अपने ऊपर जल छिड़कें। इसके बाद नीचे दिए गए मंत्र का जाप करें।

गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजम्बूफलचारु भक्षणमं।

उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम।।

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