National general santiniketan has been inscribed as world heritage property on the unesco world heritage list: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ अंतरराष्ट्रीय संगठन यूनेस्को ने पश्चिम बंगाल के शांतिनिकेतन को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है। यूनेस्को ने रविवार को सोशल मीडिया ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में यह घोषणा की। इसके साथ ही शांतिनिकेतन, भारत का 41वां विश्व धरोहर स्थल बन गया है। पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में स्थित इस सांस्कृतिक स्थल को यूनेस्को की धरोहर सूची में शामिल कराने के लिए लंबे समय से प्रयास चल रहा था। कुछ महीने पहले ही अंतरराष्ट्रीय परामर्श संस्था ‘इंटरनेशनल काउंसिल ऑन मॉन्यूमेंट्स एंड साइट्स’ (इकोमोस) ने इस ऐतिहासिक स्थल को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल करने की सिफारिश की थी।
शांतिनिकेतन का इतिहास
शांतिनिकेतन में ही कवि रवींद्रनाथ टैगोर ने एक सदी पहले विश्वभारती की स्थापना की थी। रवींद्रनाथ टैगोर के पिता महर्षि देवेंद्रनाथ टैगोर ने सन 1863 में 7 एकड़ जमीन पर एक आश्रम की स्थापना की थी। बाद में रवींद्रनाथ ने यहां विश्वविद्यालय की स्थापना की और इसे विज्ञान के साथ कला और संस्कृति की पढ़ाई का भी केन्द्र बनाया। 1901 में रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा स्थापित शांतिनिकेतन, एक आवासीय विद्यालय और प्राचीन भारतीय परंपराओं पर आधारित कला का केंद्र बन गया। करीब 122 साल पहले 5 छात्रों के साथ शुरू इस विश्वविद्यालय में आज भी छात्रों को पेड़ के नीचे जमीन पर बैठकर पढ़ते देखा जा सकता है।
मौजूदा स्थिति
पश्चिम बंगाल में दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे और सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान के बाद शांतिनिकेतन, प्रदेश का तीसरा विश्व धरोहर स्थल बन गया है। सरकार द्वारा वित्त पोषित यह यूनिवर्सिटी यूनिवर्सिटी ग्रेजुएट, पोस्टग्रेजुएट और डॉक्टरेट स्तर के कोर्सेज़ कराती है। इस विश्वविद्यालय में आज 6 हजार से भी ज्यादा छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं। इससे संबद्ध 10 उप-संस्थान भी हैं जो हायर एजुकेशन में अपने क्षेत्रों में उत्कृष्टता के लिए प्रसिद्ध हैं। यह देश-दुनिया के लिए पर्यटन का केन्द्र भी है। यहां त्योहारों को भी बड़े धूम-धाम से मनाने की परम्परा है और देशभर से लोग होली और दीपावली के मौके पर यहां की रौनक देखने आते हैं।