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MP: दूसरे दिन भी मंडियों में रही हड़ताल, अन्य व्यापारी संगठन भी आए समर्थन में

Madhya pradesh indore mandi the strike in the mandis continued for the second day other business organizations also came in support: digi desk/BHN/इंदौर/ प्रदेश में कृषि उपजों पर लगने वाले ज्यादा टैक्स और मंडी बोर्ड की मनमानी के खिलाफ 4 सितंबर से शुरू हुई व्यापारियों की हड़ताल दूसरे दिन मंगलवार को भी जारी रही। मप्र सकल अनाज दलहन तिलहन व्यापारी महासंघ द्वारा अनिश्चितकालीन हड़ताल का ऐलान किया गया है। इस बीच मंडी प्रशासन ने किसानों के लिए उपज नहीं लाने और नीलामी स्थगित रखने की सूचना जारी कर दी है। प्रदेश की लगभग सभी मंडियों में कामकाज पूरी तरह ठप पड़ गया है। इस बीच कांग्रेस उद्योग एवं व्यापार प्रकोष्ठ के साथ अन्य व्यापारी संगठनों ने भी मंडी की हड़ताल का समर्थन कर दिया है।

मंडी की हड़ताल से दो दिन में इंदौर में 45 करोड़ रुपये से ज्यादा का व्यापार प्रभावित होने का अनुमान है। मोटे तौर पर शासन को दो दिनों में 40 से 50 लाख रुपये के राजस्व की हानि हो चुकी है। सकल अनाज दलहन तिलहन व्यापारी संघ के अध्यक्ष गोपालदास अग्रवाल के अनुसार, मप्र में कृषि उपज पर लग रहे भारी भरकर मंडी टैक्स, निराश्रित शुल्क के साथ लीज प्रकरणों का निराकरण नहीं होने और बदले गए मंडी नियमों के विरोध में प्रदेशभर के व्यापारी आंदोलन कर रहे हैं। हड़ताल अनिश्चितकालीन रहेगी। सरकार व प्रशासन की ओर से अब तक किसी तरह की चर्चा की बात नहीं कही गई है।

हड़ताल को कई संगठनों का समर्थन

इस बीच नरसिंहपुर के गुड़ उत्पादक व्यापारी संगठन ने भी हड़ताल का समर्थन कर दिया है। दरअसल, सरकार गुड़ पर भी मंडी शुल्क वसूल रही है। इसी के साथ आने वाले दिनों में दाल उत्पादक और सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (सोपा) भी इस हड़ताल को समर्थन दे सकते हैं। इस बीच कांग्रेस उद्योग एवं व्यापार प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष अजय चौरड़िया ने भी कहा कि वे हड़ताल के समर्थन में है। जल्द इंदौर-भोपाल में संगठन के पदाधिकारी हड़ताल कर रहे व्यापारियों के समर्थन में पहुंचेंगे। उधर, व्यापारियों ने कामकाज बंद रखा है, लेकिन फिलहाल धरना प्रदर्शन से इनकार किया है। व्यापारियों ने कहा कि वे शांतिपूर्ण व्यापार बंद रखकर हड़ताल जारी रखेंगे। देखते हैं कि सरकार कब तक उनकी मांगों पर ध्यान नहीं देती।

घोषणा के बाद भी सरकार ने नहीं किया अमल

उल्लेखनीय है कि मप्र में कृषि उपज पर सबसे ज्यादा 1.50 रुपये प्रति सैकड़ा मंडी टैक्स वसूला जा रहा है। साथ ही 20 पैसे निराश्रित शुल्क भी अलग से लिया जाता है। शिवराज सरकार ढाई साल में तीन बार मंडी शुल्क कमी की घोषणा कर चुकी है। खुद मुख्यमंत्री ने दाल व्यापारियों के बीच कटनी में भी सालभर पहले ये ऐलान किया था। हालांकि, अब तक सरकार ने इस पर अमल नहीं किया। व्यापारी मांग कर रहे हैं कि मंडी शुल्क को घटाकर एक रुपये प्रति सैकड़ा किया जाना चाहिए।

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