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संस्कृति में घुली भाषा की पराधीनता से आजाद हों तभी पूर्ण स्वाधीन होगा भारत

(विशेष संपादकीय)


ऋषि पंडित
प्रधान संपादक


देश के स्वाधीनता दिवस का सूर्य अपनी प्रखर किरणों और पूरे दर्प के साथ एक बार फिर भारत की गौरवशाली माटी और समूचे भारवासियों की देहरी पर दस्तक देने के लिए तैयार है। 77वां स्वतंत्रता दिवस समारोह मनाने के लिए पूरा देश आतुर है। अपनी सामरिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक समरसता की शक्ति के साथ राजपथ पर भारत का गौरवशाली अतीत और भविष्य की आकाश चूमने वाली संभावनाओं की झलक स्वतंत्रता दिवस समारोह में मंगलवार को पूरी दुनिया देखेगी। बीते 15 वर्षों में भारत बड़े बदलावों के दौर से गुजरा है। विश्व की महाशक्ति और महागुरू बनने की अपार संभावनाएं अब नजदीक दिखाई दे रही हैं। सनातन संस्कृति की पोषकता के समर्थन में पूरा देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ खड़ा दिखाई दे रहा है। निश्चित ही भारत का वैश्विक मंच पर बढ़ता प्रभाव भविष्य की तस्वीर दिखाता है।

इतिहास साक्षी है कि किसी राष्ट्र का गौरव तभी जाग्रत रहता है जब वो अपने स्वाभिमान और बलिदान की परम्पराओं को अगली पीढ़ी को भी सिखाता है, संस्कारित करता है, उन्हें इसके लिए निरंतर प्रेरित करता है। किसी राष्ट्र का भविष्य तभी उज्ज्वल होता है जब वो अपने अतीत के अनुभवों और विरासत के गर्व से पल-पल जुड़ा रहता है। फिर भारत के पास तो गर्व करने के लिए अथाह भंडार है, समृद्ध इतिहास है, चेतनामय सांस्कृतिक विरासत है। जब हम ग़ुलामी के उस दौर की कल्पना करते हैं, जहां करोड़ों-करोड़ लोगों ने सदियों तक आज़ादी की एक सुबह का इंतज़ार किया, तब ये अहसास और बढ़ता है कि आज़ादी के 76 साल का अवसर कितना ऐतिहासिक है, कितना गौरवशाली है। इस पर्व में शाश्वत भारत की परंपरा भी है, स्वाधीनता संग्राम की परछाई भी है, और आज़ाद भारत की गौरवान्वित करने वाली प्रगति भी है। हम भारत में हो रहे बड़े बदलावों और विकास कार्यों की दहलीज पर खड़े हैं। यह हर भारतीय के लिए उम्मीदों भरा दौर है, एक ऐसा दौर है जिसमें वे बेहतर जिंदगी और बेहतर देश का ख्वाब देख सकते हैं। लिहाजा, यही वह वक्त है, जब हम भविष्य के भारत का ताना-बाना बुनें। एक पुरानी कहावत है कि भारत एक नया देश है, लेकिन एक प्राचीन सभ्यता है और इस सभ्यता ने अपने पूरे इतिहास में जबरदस्त परिवर्तन देखा है।

बदलते भारत ने दुनिया का एजुकेशन हब होने से लेकर आईटी हब बनने तक एक लंबा सफर तय किया है। 15 अगस्त 1947 को अपने संदर्भ के ढांचे के रूप में लेते हुए, हम पाते हैं कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी, अर्थव्यवस्था और मानव विकास जैसे कई क्षेत्र हैं जहां भारत ने उल्लेखनीय प्रगति दिखाई है। हालाँकि, स्वास्थ्य और शिक्षा और रोजगार जैसे कुछ मुद्दों पर अभी ध्यान देना जरूरी है। हम स्वाधीन तो हो गये हैं लेकिन भाषाओं की गुलामी अभी भी हमारा पीछा नहीें छोड़ रही है। चाहे वह न्यायालय के निर्णय हों, अदालती कामकाज और पुलिस थानों में लिखा-पढ़ी करने जैसे मामले हों। सरकार को इस ओर भी गंभीरता से ध्यान देना चाहिए जिससे न्यायालयीन निर्णय, थानों में लिखी जाने वाली रिपोर्ट कम से कम सभी की समझ में आनी चाहिए।

जब अंग्रेजों ने भारत छोड़ा, तो वे अपने पीछे एक टूटा हुआ, जरूरतमंद, अविकसित और आर्थिक रूप से अस्थिर देश छोड़ गए। स्वतंत्रता के बाद, भारत ने अपनी पहली पंचवर्षीय योजना में वैज्ञानिक अनुसंधान को प्राथमिकता दी। स्वतंत्रता के केवल तीन वर्षों के बाद, 1950 में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान की स्थापना हुई। इन संस्थानों ने विदेशी संस्थानों की सहायता से भारत में अनुसंधान को बढ़ावा दिया।

भारत को अपनी स्वतंत्रता के बाद कई मुद्दों का सामना करना पड़ा, जिनमें अशिक्षा, भ्रष्टाचार, गरीबी, लैंगिक भेदभाव, अस्पृश्यता, क्षेत्रवाद और सांप्रदायिकता शामिल हैं। कई मुद्दों ने भारत के आर्थिक विकास के लिए प्रमुख बाधाओं के रूप में काम किया है। 1947 में जब भारत ने अपनी स्वतंत्रता की घोषणा की, तो इसका सकल घरेलू उत्पाद मात्र 2.7 लाख करोड़ था, जो विश्व के सकल घरेलू उत्पाद का 3% था। 1965 में भारत में हरित क्रांति की शुरुआत हरित क्रांति के जनक एम. एस. स्वामीनाथन ने की थी। हरित क्रांति के दौरान, उच्च उपज वाले गेहूं और चावल के प्रकारों के साथ लगाए गए फसल क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि हुई थी। कारखानों और पनबिजली संयंत्रों जैसी संबद्ध सुविधाओं के निमाज़्ण से कृषि श्रमिकों के अलावा औद्योगिक श्रमिकों के लिए भी बड़ी संख्या में रोजगार सृजित हुए।
आज भारत 147 लाख करोड़ जीडीपी के साथ दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, जो वैश्विक जीडीपी का 8% है। हाल के वर्षों में भारत में स्टार्टअप्स की संख्या में 15,400% की भारी वृद्धि देखी गई है, जो 2016 में 471 से बढ़कर जून 2022 तक 72,993 हो गई। स्टार्टअप्स की इस अभूतपूर्व वृद्धि ने देश में लाखों नए रोजगार भी पैदा किए हैं।

भारत के विभिन्न परिदृश्यों का विश्लेषण करने पर हम पाते हैं कि हम अपनी यात्रा में एक लंबा सफर तय कर चुके हैं लेकिन फिर भी, अगर हम भारत को एक ‘महाशक्ति बनाना चाहते हैं तो अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। बहुत कुछ हमारे लोगों की बदलने की इच्छा पर निर्भर करेगा, हमारे आर्थिक विकास में हाशिए पर पड़े समुदायों सहित कार्यबल में महिलाओं की समान भागीदारी सुनिश्चित करना, और सबसे अंतिम लेकिन कम से कम एक उदार और प्रगतिशील और निष्पक्ष मानसिकता होना है।

जैसा कि हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, आजादी के 76 साल पूरे होने को हमारी आकांक्षाओं के भारत के निर्माण और भारत के बदलते परिदृश्य में सकारात्मक योगदान देने के एक नए अवसर के रूप में लिया जा सकता है। एक समृद्ध राष्ट्र बनने के लिए, भारत विभिन्न परीक्षणों और कठिनाइयों से गुजऱा, इससे पहले कि वह एक ऐसे बिंदु पर पहुँचे जहाँ नागरिकों को स्वतंत्रता प्रदान की गई थी। मुस्लिम मुगल बादशाहों द्वारा शासित होने से लेकर अंग्रेजों द्वारा नियंत्रित होने तक, भारत ने यह सब अनुभव किया है।
आइये, 77 वें स्वाधीनता दिवस पर हम सभी भारतवासी शपथ लें कि अपने गौरवशाली देश को राजनीति और व्यक्तिगत मतभेदों से परे होकर विश्वगुरू एवं महाशक्ति बनाने के लिए एकजुटता के साथ कदम से कदम मिलाकर चलेंगे जिससे क्रांतिकारियों के सपनों का भारत अपने पूरे स्वाभिमान के साथ आसमान पर ध्रुव तारे की तरह स्थिर और धवल स्वरूप को प्राप्त कर सके।


इन्हीं शब्दों के साथ आप सभी को 77वें स्वाधीनता दिवस की ‘भास्कर हिंदी न्यूज परिवार’ की ओर से अनंत-आत्मिक शुभकामनाएं

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