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GST: अधिक क्रेडिट क्लेम तो ब्लाक हो जाएगा GST का रिटर्न फार्म, नया नियम लागू

Madhya pradesh indore gst gst return form will be blocked if more credit claim new rules apply: digi desk/BHN/इंदौर/ वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के नियम में सख्ती का दौर जारी है। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीआइसी) ने नई अधिसूचना जारी कर नियम लागू कर दिया है कि किसी व्यवसायी ने अधिक टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) क्लेम कर ली तो आगे उसका रिटर्न फार्म भी ब्लाक किया जा सकता है। ऐसी कार्रवाई से पहले जवाब देने के लिए सिर्फ सात दिन का समय मिलेगा। नए नियम को लेकर असंतोष और विरोध शुरू हो गया है। इस सख्ती को अव्यावहारिक बताया जा रहा है।

सीबीआइसी ने चार अगस्त को जारी अधिसूचना क्रमांक 38 के जरिए नया नियम 88डी शामिल कर दिया है। इसमें यह प्रविधान किया गया है कि किसी व्यवसायी ने अपने जीएसटीआर-3बी को भरते समय क्रेडिट क्लेम किया है व जीएसटीआर-2बी में दिख रही क्रेडिट से ज्यादा है तो विभाग तय राशि से ज्यादा क्रेडिट लेने पर संबंधित व्यवसायी को नोटिस जारी करेगा।

सात दिन में देना होगा जवाब

नोटिस सिर्फ आनलाइन जारी होगा। या तो व्यवसायी ब्याज समेत क्रेडिट वापस करे या सात दिन में ही व्यवसायी को जवाब देना होगा। विभाग संतुष्ट नहीं हुआ व निर्धारित सात दिवस की अवधि में मय ब्याज के राशि जमा नहीं करते हैं तो विभाग व्यवसायी का अगले महीने का रिटर्न फार्म जीएसटीआर-वन ब्लाक कर देगा। यानी वह रिटर्न ही नहीं जमा कर सकेगा। इसके बाद उस पर क्लेम की गई राशि की वसूली के नोटिस अलग-अलग धाराओं में जारी होंगे।

पालन के लिए दिया गया समय बहुत कम

कर सलाहकार आरएस गोयल के अनुसार, देश में कई ऐसे लोग हैं, जो फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट से शासन के राजस्व की हानि कर रहे हैं। फर्जीवाड़े को रोकने के लिए शासन नियमों को सख्त करता जा रहा है। हालांकि, ताजा नियम जरूरत से ज्यादा सख्त है। इसके पालन के लिए दी गई सात दिन की अवधि बहुत कम और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के विपरीत है। किसी व्यवसायी का जीएसटीआर-वन यानी रिटर्न यदि ब्लाक कर दिया तो उस व्यापारी से जितने भी व्यवसायियों ने माल क्रय किया होगा या सेवा प्राप्त की गई होगी, उन्हें किसी भी प्रकार की कोई टैक्स क्रेडिट प्राप्त नहीं होगी। असर यह होगा कि उस व्यक्ति का  व्यापार ही बंद हो जाएगा।

क्रेडिट में कई कारणों से हो सकता है अंतर

दरअसल, वास्तविक इनपुट टैक्स क्रेडिट में बहुत से कारणों से अंतर हो सकता है। जैसे किसी व्यापारी ने बीते माह के अंत: में माल क्रय किया था। डिलीवरी अगले माह में मिली हो, तो अगले महीने के रिटर्न में वह क्रेडिट क्लेम करता है। पिछली कोई क्रेडिट भूलवश रहने से भी वह नहीं दिखती। माल आयात करने जैसे भी कई अन्य कारण हैं। लिहाजा सख्त नियम अब छोटे-मध्यम कारोबारियों को परेशान करने वाला साबित होगा।

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