Mixopathi:digi desk/BHN/ मिक्सोपैथी के मुद्दे पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) के पदाधिकारी अब सुप्रीम कोर्ट में जाएंगे। इसके लिए हर प्रदेश की इकाई अपने राज्य के हाईकोर्ट में इस मुददे पर पीटिशन दायर करेगी। ये बातें गुरूवार को होटल प्रेसिडेंट में हुई बैठ में वर्ल्ड आइएमए के कोषाध्यक्ष डॉ. रवि वानखेड़कर और आइएमए के नए महासचिव डॉ. जयंत लेले ने कही। इन्होंने बताया कि भारतीय चिकित्सा परिषद एवं आयुष मंत्रालय ने आयुष चिकित्सकों को जिन 58 सर्जरी की मान्यता दी हैं। वो पूरी तरह गलत है
मॉर्डन मेडिसीन में सर्जरी विभाग आता है और यह नेशनल मेडिकल काउंसिल के अंतर्गत आता है। डॉ. रवि वानखेड़ेकर ने बताया कि वो किसी पैथी के विरोध में नहीं है, आयुर्वेदिक चिकित्सक आयुर्वेद के अनुसंधान कर नई पद्धति शुरू कर सकते हैं। एक एमबीबीएस डॉक्टर सात साल की पढ़ाई करने बाद एमएस या एमडी प्राप्त करता है। उसे एक ही विभाग में काम करने की अनुमति होती है। इस वजह से इस कानून को बदलना चाहिए। इस मौके आइएमए इंदौर के अध्यक्ष डॉ. सतीश जोशी और सचिव डॉ. साधना सोडानी भी मौजूद थे।
उन्होंने बताया कि हमने इंदौर में इस मुद्दे के लेकर 11 दिसंबर को एक दिन के लिए ओपीडी बंद रखी थी। अब आइएमए के डॉक्टर शहर के सभी अस्पतालों, क्लिनिक में मिक्सौपेथी के विरोध के पोस्टर लगाएंगे। इसके साथ लोगों को बताएंगे कि एलोपैथी चिकित्सक किस तरह अपनी पढ़ाई व कार्य अनुभव के बाद सर्जरी करता है। इस बैठक में आइएमए हेडक्वार्टर के डीन कॉलेज ऑफ जनरल प्रैक्टिशनर्स बने डॉ. नटवर सारडा भी मौजूद थे।