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MP Crime: मैं गिड़गिड़ाती रही, दया की भीख मांगती रही, पुलिसकर्मी डंडे बरसाते रहे- पीड़िता रचना

Madhya pradesh indore crime news i kept pleading begging for mercy policemen kept raining sticks victim rachna sharma: digi desk/BHN/इंदौर/ पुलिस… इस शब्द में ही आमजन को विश्वास और सुरक्षा की अनुभूति होना चाहिए, लेकिन यहां पुलिस का नाम तो दूर, ये ख्याल आते ही आधी रात को भी रचना चीखकर उठ बैठती है। नींद में बार-बार यही बड़बड़ाती है कि मुझे मत मारो… मेरे कपड़े मत उतारो, मैंने चोरी नहीं की है। पुलिस की बर्बर पिटाई से बुरी तरह घायल धार निवासी 46 वर्षीय रचना शर्मा रात को चीखकर उठ बैठती हैं। उनकी हर कराह पर स्वजन खून के आंसू रोते हैं। बार-बार स्वजन थाने में बिताए वे दस घंटे याद कर सिहर उठते हैं। उन दस घंटों में रचना के शरीर पर तो पिटाई के घाव हुए, लेकिन जिन पुलिसकर्मियों ने बर्बरता से मारपीट की उन्होंने खाकी के विश्वास पर कभी न भुलाने वाले घाव दे दिए। न सबूत, न गवाह, फिर भी चोरी कबूलने के लिए जिस दबाव में पुलिस ने यह तरीका अपनाया वह किसी भी सभ्य समाज और परिवार की कल्पना से परे है। खौफ, दहशत बर्बरता के उन दस घंटों की कहानी… पीड़ितों की जुबानी।

डंडे से इतना पीटा की आंख के सामने छा गया अंधेरा

चोरी की झूठी शिकायत पर पूछताछ के लिए पुलिस ने मुझे पहले भी थाने बुलाया था। तब भी पुलिसवाले गालियां देकर मैंने जो गुनाह नहीं किया, उसे कबूल करने के लिए दबाव बनाते थे। 2 जुलाई को जब मुझे पूछताछ के लिए फिर थाने बुलाया तो अंदाजा भी नहीं था कि पुलिस का इतना क्रूर चेहरा देखना मिलेगा। उस दिन तीन घंटे तक एक कमरे में बैठाकर पुलिसकर्मी गुनाह कबूलने का दबाव बनाता रहा। मैं मना करती रही। कमरे में मौजूद पुलिसकर्मी बोला कि ये ऐसे नहीं बताएगी… इसका इंतजाम करना पड़ेगा। इसके बाद मुझे ऊपर के कमरे में ले जाते समय बोले डंडा, पाइप लेकर आओ। उनकी बातें सुनकर मैं डर गई थी कि न जाने अब मेरे साथ क्या होगा।

ऊपर के कमरे में कुर्सी पर बैठाकर पुलिसकर्मी कुलदीप व अन्य ने मुझे हाथ लंबे करने को कहा और दोनों हथेलियों पर डंडे से मारा। फिर अंगुलियों को मोड़कर मेरी हथेलियों के ऊपरी हिस्सों पर डंडे से मारा। मैं दर्द से कराहती रही और चीखती रही कि मैंने चोरी नहीं की है। मैं उनसे दया की भीख मांगती रही, लेकिन उनकी बर्बरता नहीं रुकी। उन्होंने मेरे दोनों हाथों को मोड़कर रस्सी से पीछे की ओर बांधे और मुझे पलटाकर पीठ, कूल्हे और हाथ पर डंडे मारते रहे। वो बोले कि तुम्हारे भाई ने गुनाह कबूल कर लिया है। तुम भी कबूल लो।

मैंने कहा कि चोरी नहीं की। आपको जितना मारना है मारो, भले ही मेरी जान ले लो। जब पुलिसकर्मी कुलदीप मुझे डंडे से पीटते हुए थक गया तो महिला पुलिसकर्मी ने मेरे गालों पर चांटे मारे। फिर उसने भी डंडा लेकर मेरे कंधे, पीठ व कूल्हे पर मारा। वो कहने लगी कि तुझे नंगा करके मारूंगी और पंखे पर लटकाकर पीटूंगी। रातभर तुम्हारी पिटाई होगी। इससे बचना चाहती हो तो गुनाह कबूल लो।चोट के कारण मुझे चक्कर आने लगे। आंखों के सामने अंधेरा छा रहा था। मैं महिला पुलिसकर्मी से बोली भी कि दीदी मुझे चक्कर आ रहे हैं। फिर भी वो नहीं रुकी और मुझे पीटती रही।

पहले जख्म दिए, फिर गुनाहों को छिपाने के लिए मरहम लगाया

करीब छह घंटे बाद महिला पुलिसकर्मी मुझे नीचे ले गई और कहने लगी कि आंसू पोंछो। सीधे चलना। ऐसा नहीं लगना चाहिए कि तुम्हारे साथ कुछ हुआ है। ध्यान रखना किसी को कुछ बोला तो दोबारा मारेंगे। उन्हें लगा कि मेरे घाव देखकर परिवार के लोग नाराज होंगे तो महिला पुलिसकर्मी ने बर्फ व पानी की ठंडी बोतल से मेरे चोट के निशान पर सिकाई की। मेरे घाव पर मरहम लगाया और मुझे चाय पिलाई। मैंने कहा मुझे घबराहट हो रही है। बीपी कम होता है तो उसने एक गोली भी मुझे खिलाई। रात 9 बजे बाद मेरी बहन ने मेरी ऐसी हालत देख, वो चिल्लाई कि तुमने इसकी ऐसी हालत क्यों की। पुलिसवालों पर उसकी बात का कोई असर नहीं हुआ।

मुझे जख्म देने वालों को जेल हो

मैंने कोई चोरी नहीं की, इसके बावजूद भी पुलिसकर्मियों ने मुझे मानसिक व शारीरिक प्रताड़ना दी। मैं चाहती हूं कि दोषियों को जेल भेजा जाए और सजा मिले ताकि कोई भी पुलिसवाला बेगुनाह पर डंडा उठाने से पहले दस बार सोचे। मेरी एडीपीओ ननद सीमा के कहने पर मेरे साथ अत्याचार हुआ है। उसे सस्पेंड किया जाए। वो खुलेआम हमें कहती है कि मेरे तो बड़े अधिकारियों से संपर्क है।

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