Along with tomatoes the prices of other vegetables also increased when will people get relief: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ खुदरा बजार में टमाटर इस वक्त कई जगह 100 से 120 रुपये किलो बिक रहा है। इसी तरह अदरक, हरी मिर्च, तोरई, भिंडी की कीमतें भी अचानक बढ़ गई हैं। मुंबई में, व्यापारियों ने कहा कि अत्यधिक गर्मी और बारिश में देरी के कारण उत्पादन कम हुआ है। वहीं, बेंगलुरु में व्यापारियों ने बताया कि राज्य में अपर्याप्त बारिश के कारण सब्जियों की कीमतें बढ़ गई हैं।
देशभर के कई बाजारों में टमाटर और अन्य सब्जियों की कीमतें बढ़ गई हैं। कई राज्यों में टमाटर 100 से 120 रुपए किलो बिक रहा है। राजधानी दिल्ली से लेकर केरल तक, इस मानसून में नींबू, अदरक, हरी मिर्च जैसी दूसरी सब्जियां भी अचानक महंगी हो गई हैं।
जानते हैं देशभर में कहां सब्जियों के दाम अधिक हैं? किन सब्जियों के दाम बढ़े हैं? इसकी वजह क्या है? स्थिति कब तक सामान्य हो जाएगी? सरकार इससे निपटने के लिए क्या कर रही है?
कहां सब्जियों के दाम अधिक हैं
खुदरा बजार में टमाटर इस वक्त कई जगह 100 से 120 रुपये किलो बिक रहा है। इसी तरह अदरक की कीमत 60 रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़कर 240 रुपये प्रति किलोग्राम तक हो गई। हरी मिर्च पिछले महीने तक 40 रुपये प्रति किलो मिल रही थी, अब यह बढ़कर लगभग 160 रुपये प्रति किलो हो गई है।
मुंबई में 19 जून को टमाटर की कीमत थोक में 15 रुपये प्रति किलो और खुदरा बजार में में 40 रुपये/किलो थी। 26 जून को ये कीमतें क्रमश: 60 रुपये प्रति किलो और 80 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गईं। गुवाहाटी में तोरई, जो चंद दिन पहले तक 30 से 40 रुपये के बीच बिकती थी, अब 80 से 120 रुपये के बीच बिक रही है। भिंडी की कीमत 80 रुपये, हरी मिर्च की कीमत भी 150 रुपये किलो तक पहुंच गई है।
पश्चिम बंगाल में अदरक, टमाटर और भिंडी की कीमत अब क्रमशः 100 रुपये, 47 रुपये और 57 रुपये है। राजस्थान में थोक बाजार में हरी मिर्च की आपूर्ति तीन रुपये प्रति किलोग्राम की जा रही थी, लेकिन 15 दिन पहले कीमत बढ़कर 25 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई थी। पहले 8-10 रुपये प्रति किलोग्राम बिकने वाले करेले की कीमत बढ़कर 25 रुपये प्रति किलोग्राम हो गयी है।
सब्जियों की कीमतों में अचानक बढ़ोतरी की वजह क्या है
देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में, व्यापारियों ने भारी वृद्धि के लिए किसानों द्वारा अन्य फसलों को चुनने के अलावा अत्यधिक गर्मी और बारिश में देरी के कारण उत्पादन में कमी को जिम्मेदार ठहराया है। वहीं, बेंगलुरु में व्यापारियों ने बताया कि राज्य में अपर्याप्त बारिश के कारण सब्जियों की कीमतें बढ़ गई हैं। केआर मार्केट के एक व्यापारी मंजूनाथ ने कहा, ‘हमारे यहां पर्याप्त बारिश नहीं हुई। साथ ही गर्मी भी अधिक है। इन दोनों कारणों से सब्जियों की कई फसलें खराब हो गयीं। तापमान में बदलाव और पर्याप्त बारिश की कमी के कारण टमाटर को कीटों ने नुकसान पहुंचाया।’
थोक विक्रेताओं का कहना है कि चक्रवाती तूफान बिपरजॉय की भारी बारिश सहित कई कारणों से पूरे राजस्थान में टमाटर और अन्य सब्जियों की कीमतों में तेज वृद्धि हुई है। इनके अनुसार, चक्रवाती वर्षा के बाद आए मानसून से किसानों की फसलें बर्बाद हो गईं, टमाटर की कीमतें चार से पांच गुना बढ़ गईं। इसके अलावा, सभी सब्जियों की कीमतें करीब दो गुना तक बढ़ गई हैं।
हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश, बेंगलुरु, नासिक टमाटर सहित अधिकांश सब्जियों के प्राथमिक स्रोत हैं। दिल्ली की आजादपुर मंडी में टमाटर ट्रेडर्स एसोसिएशन (टीटीए) के अध्यक्ष अशोक कौशिक का कहना है कि मार्च से जून तक, राजधानी में खपत होने वाले अधिकांश टमाटरों का उत्पादन हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में किया जाता है। हालांकि, मई में बेमौसम बारिश और मानसून की जल्दी शुरुआत के कारण इन राज्यों में टमाटर का उत्पादन कमजोर हो गया, जिससे आपूर्ति सीमित हो गई।
क्या अन्य वजहें भी हैं
जब मानसून आता है, तो कई कारणों से सब्जियों की कीमतें अक्सर बढ़ जाती हैं। मानसून के दौरान, भारी बारिश से जलभराव और बाढ़ आती है, जो फसलों को नुकसान पहुंचाती है और उनके उत्पादन को कम कर देती है। सब्जियों की कमी के कारण कीमतें बढ़ती हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार, गुवाहाटी में बाढ़ के पानी ने 10,000 हेक्टेयर से अधिक भूमि में फसलों को नुकसान पहुंचाया है। इसके अलावा मानसून की बारिश के कारण होने वाली रसद और परिवहन समस्याओं के कारण किसानों से सब्जियों को बाजारों तक पहुंचाना चुनौतीपूर्ण हो जाता है। माल की आवाजाही बाधित होती है और सड़कें दुर्गम हो जाती हैं। इसके चलते सब्जियों की उपलब्धता कम होती है, जिससे कुछ सब्जियों की कीमतें बढ़ जाती हैं।
कुछ सब्जियों की आपूर्ति के लिए, कुछ क्षेत्र विशेष क्षेत्रों पर बहुत अधिक निर्भरता है। मानसून का ऐसे स्थानों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, तो इसके चलते बाजार में कमी होती है और लागत बढ़ जाती है। बेंगलुरु और नासिक से टमाटर 60-65 रुपये प्रति किलोग्राम की थोक दर पर बेचे जाते हैं और कर, कमीशन और मजदूरी को जोड़ने पर लागत लगभग 80-85 रुपये प्रति किलोग्राम तक बढ़ जाती है। खुदरा क्षेत्र में टमाटर 100 रुपये से 120 रुपये प्रति किलो के बीच मिल रहा है।
स्थिति कब तक सामान्य हो जाएगी
टमाटर की बढ़ी कीमतों के बारे में कृषि विशेषज्ञ देविंदर शर्मा कहते हैं, ‘हर साल एक पैटर्न सा बन गया है। इस समय एक सीजन खत्म होता और दूसरा शुरू होता है। कई इलाकों में टमाटर की बुवाई शुरू हो जाती है। देश में आपूर्ति की कमी हो जाती है जिसकी वजह से ये कीमतें बढ़ती हैं। यह आम प्रक्रिया है लेकिन इस बार ज्यादा ही हो गई।’
वहीं उपभोक्ता मामलों के सचिव, रोहित कुमार सिंह ने बताया कि हर साल इस समय ऐसा होता है। पिछले पांच वर्षों के आंकड़ों से पता चलता है कि इस समय में टमाटर की कीमतें अक्सर बढ़ जाती हैं। दरअसल, टमाटर बहुत जल्द खराब होने वाला खाद्य उत्पाद है और अचानक बारिश होने से इसकी ढुलाई पर असर पड़ता है। हालांकि, हिमाचल प्रदेश से आपूर्ति के कारण टमाटर की कीमतें घटने की संभावना है। अगले दस दिन में दिल्ली में आपूर्ति बढ़ जाएगी।
स्थिति से निपटने के लिए सरकार क्या कर रही
रोहित कुमार सिंह ने कहा कि कीमतों में यह उछाल अस्थाई और मौसमी है। टमाटर की कीमतों में अचानक उतार-चढ़ाव से निपटने के लिए उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय टमाटर ग्रैंड चैलेंज शुरू करेगा। इसमें टमाटर के उत्पादन, प्रसंस्करण व भंडारण में सुधार के लिए नए विचार आमंत्रित किए जाएंगे। नए विचारों से प्रोटोटाइप बनाएंगे और फिर इसे आगे बढ़ाएंगे।