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MP Cheetah Project : छह चीतों की मौत के बाद फैसला, नए स्‍थान पर श‍िफ्ट किए जाएंगे चीते

Madhya pradesh bhopal cheetah project in mp decision after the death of six cheetahs cheetahs will be shifted to a new place: digi desk/BHN/भोपाल(/दक्षिण अफ्रीका से लाकर कूनो नेशनल पार्क में बसाए गए चीतों की लगातार हो रही मोतों से चीता पुनर्वास परियोजना के प्रबंधन पर सवाल उठने लगे हैं। इसके दृष्टिगत केंद्रीय वन मंत्री भूपेंद्र यादव की मोजूदगी में भोपाल में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण व चीता प्रबंधन से जुड़े अधिकारियों की महत्वपूर्ण बैठक हुई। कुछ चीतों की दूसरे अभयारण्य में शिफ्टिंग के मामले में तय किया गया कि मप्र के ही दूसरे अभयारण्य में शिफ्टिंग की जाएगी। चीतों को राजस्थान नहीं भेजा जाएगा।

चीता प्रोटेक्शन फोर्स का भी गठन किया जाएगा

यह भी तय किया गया कि टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स की तरह ही चीता प्रोटेक्शन फोर्स का भी गठन किया जाएगा। इसमें सशस्त्र जवान शामिल किए जाएंगे। जवानों को मध्य प्रदेश पुलिस विभाग पर वन विभाग प्रतिनियुक्ति पर ले सकेगा।

गांधीसागर अभयारण्य में शिफ्ट होंगे चीते

बता दें कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की 23वीं वार्षिक बैठक भी इसी क्रम में हुई। इसमें चीता परियोजना पर गहन मंथन में तय किया गया कि कुछ चीतों की कूनो नेशनल पार्क से मध्य प्रदेश के मंदसौर स्थित गांधीसागर अभयारण्य में शिफ्ट किया जाएगा।

चीतों की मौत में किसी तरह की चूक नहीं हुई

बैठक में कूनो में कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने और उन्हें लगातार प्रशिक्षण देने और इसके लिए चीता संरक्षण एवं प्रबंधन से जुड़े अधिकारियों-कर्मचारियों को अध्ययन प्रवास पर नामीबिया एवं दक्षिण अफ्रीका भेजने पर बात हुई है। महानिदेशक वन एवं विशेष सचिव सीपी गोयल कहते हैं कि परियोजना नई है। हमें जैसे-जैसे जरूरतों का पता चल रहा है, इंतजाम कर रहे हैं। पहले टास्क फोर्स, फिर संचालन समिति बनाई है, इसमें विज्ञानियों को जोड़ा है। वे मानते हैं कि पिछले दो माह में कूनो में छह चीतों की मौत में किसी तरह की चूक नहीं हुई है।

नवंबर से पहले तैयार होगा गांधीसागर अभयारण्य

चीतों को राजस्थान के मुकुंदरा भेजने की संभावनाओं को सिरे से नकारते हुए गोयल कहते हैं कि चीता एक्शन प्लान में भी साफ है कि चीतों को एक जगह नहीं रखना है। हमारा अगला लक्ष्य गांधीसागर और फिर नौरादेही है। कूनो के कोर क्षेत्र में 21 और बफर में 15 चीते रखने की क्षमता है। भविष्य में और शावक पैदा होंगे, राज्य सरकार ने नवंबर से पहले गांधीसागर अभयारण्य को चीतों के रहवास के लिए तैयार करने को कहा है।

करंट-जहरखुरानी से बाघों की मौत, चिंता का विषय नहीं

मप्र में हर साल बड़ी संख्या में बाघों की मौत को गोयल ने सामान्य बताया। कहा कि देश में अब संगठित शिकार नहीं होता। हमारे रिकार्ड में ऐसा कोई गैंग सक्रिय नहीं है। जहरखुरानी-करंट से शिकार होता है, वह बहुत बड़ी चिंता का विषय नहीं है। गोयल कूनो में शेर लाने को लेकर चुप्पी साध गए। उन्होंने केवल इतना कहा-अभी कोई विचार नहीं है। बैठक में एनटीसीए के सदस्य सचिव डा. एसपी यादव भी मौजूद रहे।

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