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Vinayak Damodar Birth Anniversary: जानें कैसी है 694 कोठरियों वाली सेलुलर जेल, जहां सावरकर ने बिताए थे 10 साल

National vinayak damodar 28 may birth anniversary know how is the cellular jail with 694 cells where savarkar spent 10 years: digi desk/BHN/नई दिल्ली/भारत के महान क्रांतिकारी, स्वतंत्रता सेनानी, राष्ट्रवादी नेता तथा विचारक वीर सावरकर का जन्म: 28 मई 1883 को हुआ था। देश की आजादी के लिए उन्होंने जो संघर्ष किया, उसे राजनीतिक स्वार्थ के लिए दबाने का प्रयास भले ही किया गया हो लेकिन सावरकर ने अंडमान निकोबार की जिस सेलुलर जेल में 10 साल जिस कड़ी यातना के बिताए थे, वहां आज भी इसके निशान मौजूद है।

694 कोठरियों वाली कालापानी के जेल

महाराष्ट्र के नासिक जिले के तत्कालीन कलेक्टर जैक्सन की हत्या हत्या के लिए साजिश रचने के के मामले में दोषी ठहराया गया था और को 7 अप्रैल 1911 को उन्हें अंडमान निकोबार का सेल्यूलर जेल में लाया गया था। वीर सावरकर को इस जेल में कड़ी यातनाएं दी गई थी। इस जेल में 694 काली कोठरियां थी, जिनमें कुछ कोठरियों में सूरज की रोशनी भी नहीं पहुंच पाती थी।

कोल्हू के बैल बने, नारियल के छिलकों से निकाला तेल

वीर सावरकर को सेल्युलर जेल में इतनी यातनाएं दी गई थी कि उन्हें नारियल के छिलकों से तेल निकालने के लिए कोल्हू में बैल की तरह जोत दिया जाता था। अंडमान निकोबार में जिस स्थान पर जेल थी, उसके आसपास काफी दलदली जमीन भी मौजूद थी, उसकी सफाई के अलावा ऊंची नीची भूमि को समतल करने का काम भी वीर सावरकर से कराया जाता था। कुछ देर आराम करने के लिए बैठने पर बेंत व कोड़ों से पीटा जाता था। सावरकर 4 जुलाई, 1911 से 21 मई, 1921 तक पोर्ट ब्लेयर की भयावह कोठरी में रहे।

सालों नहीं लगी भनक, बगल की कोठरी में सगा भाई भी कैद

वीर सावरकर के प्रति अंग्रेज अधिकारी काफी सख्त थे। विनायक दामोदर सावरकर को जिस कोठरी में कैद रखा गया था, उससे कुछ दूर पर ही एक कोठरी में उनके सगे भाई को भी अंग्रेज अधिकारियों ने कैद किया था, लेकिन सालों तक सावरकर को यह भनक नहीं लगने दी कि उनका भाई भी बगल में कैद है।

वीरान टापू पर थी काला पानी की जेल

वीर सावरकर को जिस सेल्युलर जेल में रखा गया था, वह एक वीरान टापू पर बनाई गई थी। यह तीन मंजिला जेल 7 कतारों में बनाई गई थी, जिसमें 694 कोठरियां थी। 15 गुना 8 फीट की इन कोठरियों में 3 मीटर की ऊंचाई पर एक रोशनदान था, जिससे सिर्फ समुद्र ही दिखाई देता था। यहां से भागने के बारे में कोई कैदी सोच भी नहीं पाता था।

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