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Interview: माइंड रीडिंग आर्ट है या चमत्कार ? माइंड रीडर करण ने खोले राज

Interview with professional mind reader karan singh who reveals secrets of this art: digi desk/BHN/अहमदाबाद/ आपने जादू को कई तरह के देखे होंगे, लेकिन किसी के मन बात पढ़ लेना, हमें सबसे ज्यादा आश्चर्यचकित करता है। ऐसे ही एक माइंड रीडर हैं करण सिंह। इनके लिए किसी का जन्मदिन, एटीएम पिन, फोन का पासवर्ड आदि जानना बाएं हाथ का खेल है। इनका हुनर ऐसा है कि इन्होंने विराट कोहली और शाहरुख खान जैसे सेलेब्रिटीज को हैरत में डाल दिया। करण ने माइंड रीडिंग के बारे में विस्तार से बात की और अपनी जर्नी के बारे में भी बताया।

कैसे हुआ जादू से प्यार

मैं केवल 11 साल का था जब मैंने जादू को अपनी दुनिया बना लिया। मैं एक समर कैंप में गया था। वहां मौजूद जादूगर ने मुझे एक-दो तरकीबें सिखाईं। 17-18 साल की उम्र तक मेरे लिए यह सिर्फ एक शौक था। जब धीरे-धीरे शो आने लगे तो मुझे लगा कि मैं इसे भी प्रोफेशन बना सकता हूं। मेरे माता-पिता मुझे लगातार सपोर्ट करते रहे हैं। मेरा मानना है कि हर माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा अपने पैशन को फॉलो करे। वे बस इतना ध्यान रखना चाहते हैं कि ऐसा करने में आपको आर्थिक दिक्कतों का सामना न करना पड़े। मैंने बीकॉम के थर्ड ईयर में पढ़ाई छोड़ दी थी, क्योंकि मैंने कई शोज करने शुरू कर दिए थे। मेरे पास डिग्री नहीं है। अब किसी को फर्क नहीं पड़ता कि मैं कितना पढ़ा-लिखा हूं। मुझे लगता है, इस फैसले की वजह से जिंदगी में काफी बदलाव आया।

क्या वाकई पढ़ लेते हैं लोगों का दिमाग..!

मैं आधुनिक जादू को पारंपरिक मनोविज्ञान के साथ मिलाता हूं। मैं जो अभिनय करता हूं, उसमें आज के जादू के टोटके भी हैं। इसमें पारंपरिक मनोविज्ञान का पहलू भी है। दोनों जब मिश्रित होते हैं, भ्रम पैदा करते हैं। इससे लोग सोचते हैं कि मैं दिमाग पढ़ सकता हूं। वास्तव में किसी का मन पढ़ना संभव नहीं है लेकिन लोगों को विश्वास है कि मैं मन पढ़ सकता हूं। जब तरकीबें और मनोविज्ञान आपस में मिल जाते हैं, तो चीजें बहुत दिलचस्प हो जाती हैं।

कब आया टर्निंग प्वाइंट

मेरे प्रोफेशनल करियर में पब्लिक टर्निंग प्वाइंट की बात करें तो वह विराट कोहली का वीडियो था। मुझे विराट कोहली के लिए परफॉर्म करने के लिए हायर किया था। जिसके बाद लोग फॉलो करने लगे, सार्वजनिक प्रदर्शन बढ़ने लगे। मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से, शाहरुख खान के साथ प्रदर्शन करना एक महत्वपूर्ण मोड़ था। मैं बचपन से शाहरुख का फैन हूं। मुझे वे बहुत प्रभावशाली लगते हैं। उनकी शो-मैन शिप सबसे अच्छा है। मैं जो करता हूं उसमें एक महत्वपूर्ण बात यह है कि मैं लोगों को कैसे सहज महसूस करा सकता हूं, यह भी मैंने उनसे सीखा है।

बेस्ट रिएक्शन

मैंने एक कॉर्पोरेट शो किया था। मैं मंच पर गया, अपनी शुरुआती पंक्ति कही और देखा कि सामने की लाइन में बैठा व्यक्ति जाना-पहचाना लग रहा था। हालांकि, मैं पहचान नहीं पाया और मैंने शो जारी रखा। अचानक मुझे क्लिक हुआ कि ये रतन टाटा हैं। जब शो खत्म हुआ तो वे मेरे पास आए। उनका पूरा चेहरा लाल था। मुझे नहीं लगता कि मैंने कभी उनके चेहरे पर इतनी बड़ी मुस्कान देखी है। उन्होंने मुझे कहा, बेटा, जो करना हो करना, लेकिन मेरा एटीएम पिन जानने की कोशिश मत करना। यह मेरे लिए सबसे खास रिएक्शन था।

भारत में जादू की स्थिति

पीसी सरकार भारत के एक बड़े जादूगर हैं, इनका नाम तो सभी ने सुना ही होगा। जादू का कभी भारत में ऐसा ही रुतबा था। पिछले 60-70 सालों में हमारा देश जादू के मामले में थोड़ा पीछे हो गया है। सिर्फ जादू ही नहीं, बल्कि सभी प्रदर्शन कलाओं में। भारत में आजकल कॉमेडी बहुत मशहूर है। लेकिन बाकी देशों में लोग कॉमेडी से ऊब चुके हैं। मैंने फरवरी में पूरे एक महीने ऑस्ट्रेलिया में शो किए। वहां के लोग कॉमेडी से ज्यादा जादू को तरजीह देते हैं। मेरा मानना है कि समय के साथ भारत में कॉमेडी की पसंद कम होगी और कला के अन्य रूप सामने आएंगे। यह जादू या नाटक या कोई अन्य कला हो सकती है।

करण की निजी जिन्दगी

मेरा फ्रेंड सर्किल बहुत छोटा है। जब मैं स्कूल में था तब से मेरे वही 4 दोस्त हैं। हम अभी भी सैम की कॉफ़ी शॉप में जाते हैं, जहाँ हम स्कूल में घूमते थे। दीवाली हो, क्रिसमस हो या ईद कोई भी त्योहार हम 4 साथ मनाते हैं। मुझे और लोगों की जरूरत नहीं है। 4 मेरे लिए सब कुछ है। मैं पार्टी एनिमल नहीं हूं। हम सब ऐसे ही हैं। कॉफी शॉप पर बैठकर खुश रहते हैं। त्योहार में भी साथ बैठना और खाना हमारे लिए एक उत्सव है। इसके अलावा वे और कुछ नहीं करते और इसकी जरूरत भी महसूस नहीं करते।

लाइफ में लर्निंग, रीलर्निंग और अनलर्निंग

सीखने के बिना कुछ मुमकिन नहीं है। पढ़ाई में बेसिक्स पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। किसी भी काम को करने के लिए सबसे पहले ABCD सीखना बहुत जरूरी है। अनलर्निंग महत्वपूर्ण है क्योंकि यह एक निरंतर विकसित होने वाली कला है। लोग किसी भी परफॉर्मेंस से कुछ समय बाद थक जाते हैं। आप हमेशा एक ही चीज पर नहीं चल सकते। पुरानी चीजों को भूलकर नई चीजों को सीखते रहना जरूरी है। आज मैं किसी के फोन का पासवर्ड बताता हूं। लेकिन 10 साल बाद इसमें किसी की दिलचस्पी भी नहीं हो सकती है। फिर मुझे भी इसे भुलाकर कुछ नया सीखना या फिर से सीखना पड़ सकता है। 

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