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Chairta Navratri: नवरात्र के पहले दिन होती है मां शैलपुत्री की पूजा, जानिए शुभ मुहूर्त एवं पूजन विधि

Vrat tyohar chairta navratri 2023 mother shailputri is worshiped on the first day of navratri know the auspicious time and method of worship: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ 22 मार्च से चैत्र नवरात्रि का पावन पर्व शुरु हो रहा है। पहले दिन यानी प्रतिपदा तिथि में कलश स्थापना या घटस्थापना की जाती है। नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है और पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। माता शैलपुत्री को हिमालय की पुत्री होने के कारण इस नाम से पुकारते हैं। शास्त्रों के अनुसार, नवरात्रि के पहले मां शैलपुत्री की विधि-विधान से पूजा व उपासना करने से मान-सम्मान में वृद्धि व उत्तम सेहत प्राप्त होती है। मां शैलपुत्री को सफेद वस्त्र अतिप्रिय हैं। इसलिए प्रतिपदा तिथि में मां दुर्गा को सफेद वस्त्र या सफेद पुष्प अर्पित करना अति शुभ माना गया है। इसके साथ ही सफेद बर्फी या मिठाई का भोग लगाना शुभ माना जाता है।

हला दिन: शुभ मुहूर्त

  • घटस्थापना का मुहूर्त – सुबह 06:23 बजे से 07:32 बजे तक
  • प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ – मार्च 21, 2023 को रात 10:52 बजे
  • प्रतिपदा तिथि समाप्त – मार्च 22, 2023 को रात 08:20 बजे
  • ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04:49 बजे से 05:36 बजे तक
  • विजय मुहूर्त – दोपहर 02:30 बजे से 03:19 बजे तक
  • अमृत काल – सुबह 11:07 बजे से 12:35 बजे तक

मां शैलपुत्री की पूजा विधि

  • लकडी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछायें और मां शैलपुत्री की तस्वीर स्थापित करें।
  • हाथ में लाल पुष्प लेकर शैलपुत्री देवी का ध्यान करें। मंत्र इस प्रकार है- ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ओम् शैलपुत्री देव्यै नम:।
  • मंत्र के साथ ही हाथ के पुष्प और मनोकामना गुटिका मां के तस्वीर पर अर्पित करें।
  • इसके बाद भोग, प्रसाद, वस्त्र आदि अर्पित करें तथा मां शैलपुत्री के मंत्र का जाप करें।
  • मां शैलपुत्री का मंत्र – ओम् शं शैलपुत्री देव्यै: नम:। यह जप कम से कम 108 होना चाहिए।
  • मंत्र संख्या पूर्ण होने के बाद मां के चरणों में अपनी मनोकामना को व्यक्त करके मां से प्रार्थना करें तथा श्रद्धा से आरती करें।

9 दिन माता के अलग-अलग स्वरूपों को लगाएं इन चीजों का भोग, मिलेगा शुभ फल

चैत्र नवरात्रि का पावन पर्व 22 मार्च 2023 बुधवार से प्रारंभ होने वाला है। नवरात्रि में पूरे 9 दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा-उपासना की जाती है। माता को प्रसन्न करने और उनकी कृपा पाने के लिए भक्त व्रत रखते हैं। इस दौरान माता को घर में बने अलग-अलग पकवानों का भोग लगाया जाता है। लेकिन आज हम आपको 9 देवियों के प्रिय भोग के बारे में जानकारी देंगे और यह भी बताएंगे कि किस भोग को लगाने से कैसी कृपा प्राप्त होगी। आइए जानते हैं मां दुर्गा के अलग-अलग भोग एवं उनसे मिलने वाला फल।

पहला दिन – शैलपुत्री

भोग – माता शैलपुत्री गाय के घी का भोग लगाना शुभ माना गया है।

फल – माता को घी का भोग लगाने से आपको आरोग्य की प्राप्ति होती है।

दूसरा दिन – ब्रह्मचारिणी

भोग – मां ब्रह्मचारिणी को शक्कर और पंचामृत का भोग लगाना चाहिए।

फल- यह भोग लगाने से मां स्वस्थ जीवन और दीर्घायु होने का वरदान देती हैं।

तीसरा दिन – मां चंद्रघंटा

भोग – मां चंद्रघंटा को दूध से बनी मिठाइयां, खीर आदि का भोग लगाएं।

फल- इस भोग से माँ धन-वैभव व ऐश्वर्य प्रदान करती हैं।

चौथा दिन – मां कूष्मांडा

भोग – नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा को मालपुए का भोग लगाया जाता है।

फल- ऐसा करने से बुद्धि का विकास होता है और मनोबल भी बढ़ता है।

पांचवा दिन – मां स्कंदमाता

भोग – पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है और माता को केले का भोग चढ़ाया जाता है।

फल- माता को केले का भोग लगाने से सभी शारीरिक रोगों से मुक्ति मिलती है,बच्चों का करियर अच्छा रहता है।

छठवां दिन – मां कात्यायनी

भोग – माता कात्यायनी को भोग के रूप में लौकी, मीठे पान और शहद चढ़ाया जाता है।

फल- यह भोग लगाने से आकर्षण शक्ति में वृद्धि के योग बनते हैं और घर से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है।

सातवां दिन – मां कालरात्रि

भोग – इस दिन देवी कालरात्रि को गुड़ से निर्मित भोग लगाना चाहिए।

फल- यह भोग लगाने से मां रोग व शोक से मुक्ति देती हैं और घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है।

आठवां दिन – मां महागौरी

भोग – माता महागौरी को नारियल का भोग बेहद प्रिय है।

फल- यह भोग लगाने से मनोवांछित फल प्राप्त होगा और घर में कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती है।

नौवां दिन – मां सिद्धिदात्री

भोग – देवी सिद्धिदात्री को घर में बने हलवा-पूड़ी और खीर का भोग लगाकर कन्या पूजन करना चाहिए।

फल- ऐसा करने से भक्तों की सभी मनोकामना पूर्ण होती हैं।

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