Somavati Amavasya:vidisha/ ठीक 7 साल बाद मार्गशीर्ष माह (14 दिसंबर) को अमावस्या के मौके पर पदमा योग बन रहा है। यह दिन श्राद्ध कर्म के लिए सर्वश्रेष्ठ बताया जा रहा है। जानकारों के मुताबिक जो लोग पितृ पक्ष में श्राद्ध नहीं कर पाते अथवा आश्विन कृष्ण में गयाजी जाकर श्राद्ध नहीं कर पाते उनके लिए मार्गशीर्ष का माह अत्यंत शुभ फलदायी होता है। इस माह में आई अमावस्या के मौके पर श्राद्ध कर्म पितृ दोष से मुक्ति दिलाएगा। ज्योतिषाचार्य पंडित संजय पुरोहित ने बताया कि आगामी 14 दिसंबर को सोमवती अमावस्या का महापर्व पदमा योग के साथ मनाया जाएगा। इस तरह की अमावस्या 12 दिसंबर 2013 को पड़ी थी। उसके बाद 14 दिसंबर को आ रही है। उन्होंने बताया कि पितृ दोष के शमन के लिए इस दिन किसी भी जलाशय अथवा तीर्थ क्षेत्र में पहुंचकर श्राद्ध किया जा सकता है।
शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार जो लोग पितृपक्ष में श्राद्ध नहीं कर पाते, वह लोग सोमवती अमावस्या पर श्राद्ध कर्म कर पितृदोष से मुक्ति पा सकते हैं। उन्होंने बताया कि विदिशा में वह चरणतीर्थ घाट पर पिछले कई सालों से श्राद्ध कर्म कराते आ रहे हैं।
क्या होता है पितृ दोष
जन्म कुंडली में सूर्य और चंद्र के साथ राहु और केतु बैठे हों, तो पितृ दोष बन जाता है। परिवार में किसी की अकाल मृत्यु होने अथवा मृत्यु के बाद सही तरीके से श्राद्ध कर्म नहीं होने के कारण यह दोष बन जाते हैं। इस दोष के चलते व्यक्ति को उन्नति में बाधा बनी रहती है। तमाम प्रयास के बाद भी उसे सही मुकाम नहीं मिल पाता। उसकी आर्थिक स्थिति कमजोर बनी रहती है, मेहनत के बाद भी उसे धन प्राप्ति में परेशानी बनी रहती है। घर में हमेशा अशांति बनी रहती है। संतान जन्म में भी यह बाधक होता है।