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Vasant Panchami: जानिए वसंत पंचमी के शुभ मुहूर्त, दिन-रात का चौघड़िया, कथा, सरस्‍वती मंत्र, पूजन विधि

Tyohar vasant panchami 2023 know shubh muhurat of vasant panchami choghadiya of day and night katha saraswati mantra: digi desk/BHN/भोपाल/ वसंत पंचमी जिसे हम सरस्वती पूजन व विवाह के अबूझ मुहर्रत के महापर्व के रूप में मनाते हैं। इस साल यह पर्व 26 जनवरी, दिन गुरुवार को मनाया जा रहा है। इस दिन मां सरस्वती से ज्ञान, विद्या, बुद्धि और वाणी के लिए विशेष वरदान मांगा जाता है। देवी सरस्वती का पूजन सफेद और पीले पुष्पों से किया जाता है।

वसंत पंचमी के शुभ मुहूर्त

  • वसंत पंचमी 2023 : 26 जनवरी, दिन गुरुवार
  • सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त- 07.12 ए एम से 12.34 पी एम तक।
  • पूजन की कुल अवधि – 05 घंटे 21 मिनट्स।
  • वसंत पंचमी मध्याह्न टाइम- 12.34 पी एम।

दिन का चौघड़िया

शुभ- 07.12 ए एम से 08.33 ए एम

चर- 11.13 ए एम से 12.34 पी एम

लाभ- 12.34 पी एम से 01.54 पी एम

अमृत- 01.54 पी एम से 03.14 पी एम

शुभ- 04.35 पी एम से 05.55 पी एम तक।

रात का चौघड़िया

अमृत- 05.55 पी एम से 07.35 पी एम

चर- 07.35 पी एम से 09.14 पी एम

लाभ- 12.34 ए एम से 27 जनवरी को 02.13 ए एम तक।

शुभ- 03.53 ए एम से 27 जनवरी को 05.32 ए एम

अमृत- 05.32 ए एम से 27 जनवरी को 07.12 ए एम तक।

सरस्वती कथा

वसंत पंचमी कथा के अनुसार सृष्टि के प्रारंभिक काल में भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्मा जी ने मनुष्य योनि की रचना की, परंतु वह अपनी सर्जना से संतुष्ट नहीं थे, तब उन्होंने विष्णु जी से आज्ञा लेकर अपने कमंडल से जल को पृथ्वी पर छिड़क दिया, जिससे पृथ्वी पर कंपन होने लगा और एक अद्भुत शक्ति के रूप में चतुर्भुजी सुंदर स्त्री प्रकट हुई। जिनके एक हाथ में वीणा एवं दूसरा हाथ वर मुद्रा में था। वहीं अन्य दोनों हाथों में पुस्तक एवं माला थी। जब इस देवी ने वीणा का मधुर नाद किया तो संसार के समस्त जीव-जंतुओं को वाणी प्राप्त हो गई, तब ब्रह्मा जी ने उस देवी को वाणी की देवी सरस्वती कहा।

सरस्वती मंत्र

  • 1. ॐ ह्रीं ऐं ह्रीं सरस्वत्यै नम
  • 2. एकाक्षरी बीज मंत्र- ‘ऐं’।
  • 3 ऎं ह्रीं श्रीं वाग्वादिनी सरस्वती देवी मम जिव्हायां। सर्व विद्यां देही दापय-दापय स्वाहा।’
  • 4. ॐ ऐं वाग्दैव्यै विद्महे कामराजाय धीमही तन्नो देवी प्रचोदयात।

माँ सरस्वती पूजन विधि

  • * वसंत पंचमी के शुभ मुहूर्त में किसी शांत स्थान या मंदिर में पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें।
  • * अपने सामने लकड़ी का एक बाजोट रखें। बाजोट पर सफेद वस्त्र बिछाएं तथा उस पर सरस्वती देवी का चित्र लगाएं।
  • * उस बाजोट पर एक तांबे की थाली रखें। यदि तांबे की थाली न हो, तो आप अन्य पात्र रखें।
  • * इस थाली में कुंकुम या केसर से रंगे हुए चावलों की एक ढेरी लगाएं।
  • * अब इन चावलों की ढेरी पर प्राण-प्रतिष्ठित एवं चेतनायुक्त शुभ मुहूर्त में सिद्ध किया हुआ ‘सरस्वती यंत्र’ स्‍थापित करें।
  • * इसके पश्चात •’सरस्वती’ को पंचामृत से स्नान करवाएं।
  • * सबसे पहले दूध से स्नान करवाएं, फिर दही से, फिर घी से स्नान करवाएं, फिर शकर से तथा बाद में शहद से स्नान करवाएं।
  • * केसर या कुमकुम से यंत्र तथा चित्र पर तिलक करें।
  • * इसके बाद दूध से बने हुए नैवेद्य का भोग अर्पित करें
  • – साथ ही सरस्वती माता के नाम से •’ॐ श्री सरस्वतयै नम: स्वाहा’,, इस मंत्र से 108 बार हवन करें।
  • – हवन के बाद सरस्वती माता की आरती करें और हवन की भभूत मस्तक पर लगाएं।
  • * प्रयोग समाप्ति पर माता सरस्वती से अपने एवं अपने बच्चों के लिए ऋद्धि-सिद्धि, विद्यार्जन, तीव्र स्मरण शक्ति आदि के लिए प्रार्थना करें।

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