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पांचवीं फेल से अरबपति तक का सफर, Dharampal Gulati ऐसे बने मसालों के बादशाह

success story: newdelhi/ एमडीएच मसालों के मालिक धर्मपाल गुलाटी का 98 साल की उम्र में निधन हो गया है। उन्होंने एमडीएच को न सिर्फ ब्रांड बनाया, बल्कि उसका विज्ञापन भी खुद ही किया। उनकी कंपनी के मसाले आज हर घर की रसोई में आसानी से मिल जाएंगे। मगर, इसकी सफलता की इबारत लिखने के लिए धर्मपाल ने पूरा जीवन लगा दिया। आज एमडीएच 60 से भी अधिक तरह के मसाले तैयार करती है और उसका देश-विदेश में निर्यात करती है। महाशय धर्मपाल गुलाटी जी का जन्म 27 मार्च 1923 को सियालकोट में हुआ था। विभाजन के बाद उनका परिवार दिल्ली में आ गया। महज पांचवीं कक्षा तक पढ़े धर्मपाल के लिए यह सफर आसान नहीं था। पढ़ाई-लिखाई में उनका मन शुरू से नहीं लगता था। पिता महाशय चुन्नीलाल चाहते थे कि बेटा खूब पढ़े, लेकिन बेटा तो कुछ अलग करना चाहता था।

पांचवीं में फेल होने के बाद पिता जी ने उन्हें एक बढई की दुकान पर काम सीखने को भेजा। दो महीने के बाद धर्मपाल वह काम छोड़ आए। 15 साल की उम्र तक वह तांगा चलाने से लेकर साबुन बेचने तक के 50 काम कर चुके थे। इसके बाद उनके मन में मसाले बनाने का ख्याल आया। उन्होंने अपना काम करने का सोचा।

वह बाजार से सूखे मसाले खरीदकर लाते और उन्हें घर पर पीसकर बाजार में बेचते। मसालों की गुणवत्ता की वजह से उनका नाम और काम बढ़ने लगा। लिहाजा, उन्होंने बाजार से मसाले पिसवाने शुरू किए। हालांकि, मसाला पिसने वाला मिलावट करने लगा, जिससे धर्मपाल को मसाले में शिकायतें मिली। इसके बाद उन्होंने साल 1959 में खुद मसाला पिसने की फैक्ट्री दिल्ली के कीर्तिनगर में लगाई।

कारोबार बढ़ता गया, तो उन्होंने मसाले पीसने से लेकर पैकेट बनाने तक के लिए मशीनें लगवा ली थीं। खास बात यह रही कि उन्होंने एमडीएच के प्रचार के लिए किसी मॉडल को नहीं रखा। खुद ही MDH ब्रांड को आगे बढ़ाया और विज्ञापन में भी खुद ही काम किया। आज उनकी कंपनी 100 देशों में मसाले एक्सपोर्ट करती है। उनके बेटे सारा काम संभालते हैं और छह बेटियां डिस्ट्रीब्यूशन का काम। इसके बाद वह फर्श से अर्श तक का सफर करते चले गए।

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